Jal Jeevan Mission Corruption: के जे श्रीवत्सन, जयपुर; जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की गई है। राजस्थान में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेजेएम योजना में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसा है। ये कार्रवाई राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल की शिकायत के बाद हुई। ईडी ने फर्जी दस्तावेज से टेंडर हासिल करने वाली मैसर्स गणपति ट्यूबेल कंपनी पर बड़ी कार्रवाई की। मैसर्स श्री श्याम ट्यूबेल कंपनी पर भी कार्रवाई की गई है।
पदम जैन के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय का छापा
कंपनी के मालिक और ठेकेदार पदम जैन के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा। उनके घर पर सरकारी फाइलों का अंबार मिला। प्रवर्तन निदेशालय ने यहां से भारी मात्रा में सरकारी फाइलें जब्त की हैं। जानकारी के अनुसार, ठेकेदार द्वारा फर्जी दस्तावेजों से 900 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए गए। मामले में जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता अरुण श्रीवास्तव पर भी कार्रवाई की खबर है। वहीं एसीई रमेश मीणा, एक्सईएन विशाल सक्सेना की महाभ्रष्टाचार में मिलीभगत के आरोप लगाए गए थे।
रडार पर 20,000 करोड़ के घोटाले के मास्टरमाइंड
प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर 20,000 करोड़ के घोटाले के मास्टरमाइंड हैं। बताया जा रहा है कि ACE अरुण श्रीवास्तव, ACE रमेश मीणा और EX. EN विशाल सक्सेना सहित 50 अधिकारी भ्रष्टाचार के दायरे में हैं। ईडी भ्रष्टाचार में शामिल लोगों को जल्द गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन मामले में एक पेच सामने आ रहा है। दरअसल, एक ही विभाग में ED और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) दोनों ने कार्रवाई की है। ऐसे में केंद्र की ईडी और राज्य की एसीबी एजेंसियों का एक साथ कार्रवाई करना चर्चा का विषय बन गया है।