Jaipur: राजस्थान की महत्वाकांक्षी परियोजना ERCP को लेकर मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मध्यप्रदेश सरकार ने इस मामले में अब याचिका दायर की है। इस याचिका के बाद अब यह मामला इस बार का चुनावी मुद्दा भी बन सकता है।
क्योंकि दोनों ही राज्यों में इस साल चुनाव होने है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने इस मामले को लेकर अब मध्यप्रदेश सरकार पर निशाना साधा है।
षड्यंत्र के तहत लगाई गई याचिका
सीएम गहलोत ने बयान जारी करते हुए कहा कि ईआरसीपी पर काम रूकवाने के लिए लगाई गई याचिका राजस्थान को अपने हिस्से का पानी देने से रोकने के लिए किया गया षड्यंत्र है।
एमपी सरकार राजस्थान के 13 जिलों को पीने के पानी से वंचित करना चाहती है। बता दें कि ईआरसीपी प्रोजेक्ट झालावाड़, बांरा, कोटा, बूंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर और अजमेर जिलों को पानी मिलेगा।
ईआरसीपी के विरूद्ध मध्य प्रदेश सरकार की याचिका, पूर्वी राजस्थान के हक का पानी रुकवाने का प्रयास। pic.twitter.com/RNiS9PktHO
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) February 23, 2023
ईआरसीपी की डीपीआर गाइडलाइन के अनुसार
गहलोत ने कहा कि ईआरसीपी की डीपीआर केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बनाई गई है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट राजस्थान-मध्यप्रदेश अंतराराज्यीय स्टेट कंट्रोल बोर्ड की बैठक के अनुसार बनाया गया है। इसी बोर्ड के आधार पर मध्यप्रदेश ने अपने यहां बांध भी बनाए हैं।
ईआरसीपी के लिए केवल 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की ही जरूरत है। राज्य सरकार इस परियोजना के माध्यम से बेकार बह जा रहे पानी को राजस्थान की जनता के लिए पेयजल और सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास कर रही है।
कानूनी अड़चने पैदा करना चाहते हैं
सीएम ने कहा कि केंद्र और मध्यप्रदेश की सरकार नहीं चाहती कि राज्य के लोगों को पीने का पानी मिले। पानी राज्य के लिए बहुत अहम मुद्दा है। ईआरसीपी को लागू करने में ये लोग कानूनी अड़चने पैदा करना चाहते हैं। राज्य सरकार हर प्लेटफाॅर्म पर ईआरसीपी के पक्ष में अपनी बात मजबूती से रखेगी।