जयपुर: देश के पांच राज्यों में नई विधानसभा के गठन के लिए हुए मतदान के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। चुनावी रुझान के मुताबिक राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को पूर्ण बहुमत मिल रहा है। मौजूदा हालात पर गौर करें तो साफ हो गया है रिवाज को कोई नहीं बदल सकता। रिवाज-रिवाज है और इसी रिवाज के बीच भाजपा सत्तारूढ़ अशोक गहलोत की सरकार को हराने में कामयाब रही। अब हर कोई जानना चाह रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की हार के पीछे ऐसे कौन से बड़े करण रहे। इनमें प्रमुख तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता सबसे ज्यादा जिम्मेदार रही, वहीं भले ही नाराजगी के बाद, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सम्मान देना भी इस जीत की एक अहम वजह है। हालांकि इसके अलावा भी कई बातें मायने रखती हैं। ये रहे पांच बड़े कारण…
1. दिखा मोदी लहर का असर
राजस्थान में राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत का जादू इसलिए नहीं चल सका कि मोदी की लहर थी। इस बात में कोई दो राय नहीं कि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार राजस्थान में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही विधानसभा चुनाव लड़ा था। मोदी का जादू चलता भी दिखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूरे प्रचार अभियान के दौरान 12 रैलियों के जरिये राज्य के 15 जिलों को कवर किया, 103 विधानसभा सीटों का नेतृत्व करते हैं। इनमें से भाजपा को 35 सीटों पर जीत हासिल हुई है।
2. दिग्गज सांसदों को टिकट देना भी रहा फायदे का सौदा
भाजपा की जीत में दिग्गज सांसदों को विधायकी की चुनाव लड़वाने की एक और तरकीब भी काम आई। पार्टी ने 7 सांसदों को इस चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। इनमें से अलवर के सांसद महंत बाबा बालक नाथ तिजारा विधानसभा से विजयी रहे, वहीं तीन और ने भी पार्टी की झोली में जीत का लड्डू डाला है।
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3. सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं भुना गई भाजपा
राजस्थान में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को भुनाने में भी भाजपा कामयाब रही। इनमें से उदयपुर के कन्हैयालाल की हत्या का मामला खासा जिम्मेदार रहा, जिसके बाद पूरे राज्य में अराजकता का माहौल पैदा हो गया था। इसी का फायदा हिदुत्व की राजनीति कर रही भाजपा को मिला।
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4. नारी सुरक्षा के मोर्चे पर नाकामयाब
राजस्थान में दुष्कर्म और महिलाओं के खिलाफ दूसरी आपराधिक घटनाओं की बढ़ती गिनती भी कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत के लिए खासी जिम्मेदार रही। बीते 3 साल से महिला हिंसा को लेकर राज्य में पहले नंबर पर बना हुआ है।
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5. नेतृत्व का अंतर और विवादित बयान भी बड़ी वजह
कांग्रेस में पिछले कुछ वक्त से विभिन्न संगठन जैसे कांग्रेस सेवा दल, महिला कांग्रेस, सर्वोदय और यूथ कांग्रेस सुस्त नजर आए। इसका कारण उच्च नेतृत्व के प्रति विश्वास की कमी बताई जा रही है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के जगजाहिर विवाद ने भी कांग्रेस का खासा नुकसान किया और इसका फायदा भाजपा उठा गई। इतना ही नहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी को झूठों का सरदार कहकर भी राज्य में भाजपा के लिए माहौल खड़ा करने में मदद की।