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Bharatpur: नवविवाहित जोड़ों को हिंदू देवी-देवताओं को नहीं मानने की दिलाई शपथ, छिड़ा विवाद

के जे श्रीवत्सन, भरतपुर: राजस्थान के भरतपुर जिले के कुम्हेर कस्बे में सोमवार को आदर्श सामूहिक विवाह सम्मेलन संत रविदास सेवा समिति द्वारा आयोजित किया गया। सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ। इस दौरान समिति की ओर से सभी नवविवाहित जोड़ों को हिंदू देवी देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई। […]

Edited By : Nirmal Pareek | Updated: Nov 23, 2022 15:21
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Controversy over religious conversion in Bharatpur
भरतपुर में धर्मपरिवर्तन को लेकर छिड़ा विवाद

के जे श्रीवत्सन, भरतपुर: राजस्थान के भरतपुर जिले के कुम्हेर कस्बे में सोमवार को आदर्श सामूहिक विवाह सम्मेलन संत रविदास सेवा समिति द्वारा आयोजित किया गया। सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ। इस दौरान समिति की ओर से सभी नवविवाहित जोड़ों को हिंदू देवी देवताओं को नहीं मानने की शपथ दिलाई। सभी जोड़ों को बौद्ध धर्म ग्रहण कराया गया। धर्म परिवर्तन के शपथ ग्रहण का वीडियो भी सामने आया है।

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अधिकारी और नेता भी हुए थे शामिल

बताया जा रहा है कि सामूहिक विवाह सम्मेलन में डीग के अधिकारी मौजूद रहे थे। साथ ही एक जनप्रतिनिधि के भी विवाह सम्मेलन में शामिल होने की जानकारी सामने आ रही है। जब ये अधिकारी और जनप्रतिनिधि वहां से चले गए, उसके बाद विवाह सम्मेलन में आयोजकों ने 11 जोड़ों को 22 शपथ दिलाई।

ये शपथ दिलाई

विवाह सम्मेलन में नवविवाहितों को शपथ दिलाई कि “मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा, और न ही इनकी पूजा करूंगा। मैं राम को ईश्वर नहीं मानूंगा, तथा उनकी पूजा नहीं करूंगा।  मैं गौरी गणपति आदि हिंदू धर्म के किसी भी देवी देवता को ईश्वर नहीं मानूंगा, तथा में बुद्ध की पूजा करूंगा। ईश्वर ने अवतार लिया है, जिस पर मेरा विश्वास नहीं है। मैं ऐसा कभी नहीं कहूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं। मैं ऐसी प्रथा को पागलपन और झूठा समझता हूं। मैं कभी पिंड दान नहीं करूंगा। मैं बुद्ध धर्म के विरोध में कभी कोई बात नहीं करूंगा।

आयोजक लालचंद तैनगुरिया ने बताया कि, सामूहिक विवाह सम्मेलन में वर-वधु को 11 हजार रुपए का रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है बाकी का सभी खर्चा संत रविदास सेवा समिति द्वारा किया जाता है। जिसमें फ्रिज, बर्तन, कपड़े, कुर्सी, डबल बेड आदि सामान कन्या दान स्वरूप दिया जाता है।

समाज के प्रतिनिधि शंकर लाल बौद्ध ने बताया कि बाबा भीमराव अंबेडकर द्वारा दोहराई गई 22 प्रतिज्ञा को वर-वधु दिलाकर विवाह संपन्न कराया। ये प्रतिज्ञा बौद्ध धर्म का कवच हैं। ये प्रतिज्ञा इसलिए दिलाई जाती हैं। ताकि लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए बौद्ध धर्म में मिलावट ना कर सकें।

वहीं इस पूरे मामले को लेकर विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष लाखन सिंह ने कहा है कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। सार्वजनिक मंच पर विवादित शपथ दिलाई गई है। यह देश की अखंडता के लिए खतरा है

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Nirmal Pareek

First published on: Nov 23, 2022 03:21 PM
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