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सिनेमा पर गदर मचा रहे सन्नी देओल से हजारों लोग निराश, कहा-सबके सुपरस्टार हमारे लिए फ्लॉप साबित

BJP Gurdaspur MP Sunny Deol Report Card गुरदासपुर: इन दिनों खूब गदर मचा हुआ है। सिनेमा की स्क्रीन पर भी और पंजाब की राजनीति में भी। दोनों का केंद्र एक ही चेहरा है और वो है गुरदासपुर का सांसद। इस बात में कोई दो राय नहीं कि सन्नी देओल एक कामयाब अभिनेता हैं, लेकिन एक […]

Edited By : Balraj Singh | Updated: Feb 7, 2024 21:17
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BJP Gurdaspur MP Sunny Deol Report Card गुरदासपुर: इन दिनों खूब गदर मचा हुआ है। सिनेमा की स्क्रीन पर भी और पंजाब की राजनीति में भी। दोनों का केंद्र एक ही चेहरा है और वो है गुरदासपुर का सांसद। इस बात में कोई दो राय नहीं कि सन्नी देओल एक कामयाब अभिनेता हैं, लेकिन एक नेता के रूप में वह एकदम जीरो हैं। अगर जनता के हक की आवाज उठाने की दिशा में कदम उठाया होता तो इस तरह दोहरा गदर नहीं मच होता। कुछ ऐसी है अभिनेता के नेता बनने के बाद की कहानी…

  • 2019 के लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर से चुने जाने के बाद भाजपा सांसद अजय सिंह उर्फ सन्नी देओल नहीं आ रहे हलके में नजर

बताते चलें कि अजय सिंह देओल उर्फ सन्नी देओल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पंजाब के सीमांत लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर से जीत दर्ज की थी। इसके बाद सबसे पहले तो वह मोहाली जिले के लेखक गुरप्रीत सिंह पलहेरी को अपना प्रतिनिधि नियुक्त करके विवादों में आए, फिर हलके में नजर ही नहीं आए। यही वजह है कि सांसद सन्नी देओल की पंजाब में, खासकर गुरदासपुर लोकसभा हलके में खासी आलोचना हो रही है। उनके लिए कई बार गुमशुदगी के पोस्टर भी दीवारों पर चस्पा किए गए।

लोकसभा के 12 सेशन में पूछा सिर्फ एक सवाल

खास बात यह है कि सांसद बनने के बाद सन्नी देओल न सिर्फ अपने लोकसभा क्षेत्र से नदारत रहे, बल्कि एक सांसद के रूप में संसद में भी उनकी हाजिरी सवालों के घेरे में है। अब तक लोकसभा के 12 सत्रों में गुरदासपुर के भाजपा सांसद सनी देओल ने सिर्फ 3 मार्च 2020 को नदियों में अवैध रेत खनन का मुद्दा उठाया है। इसके बाद वह असल तो संसद में पहुंचे नहीं और पहुंचे तो दोबारा किसी मुदद्दे पर बात नहीं की। यहां तक कि सांसद निधि (MPLAD फंड) से भी सन्नी देओल ने बेहद कम पैस खर्च किया है।

PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के आंकड़ों पर गौर करें तो नेशनल लेवल पर हर सांसद ने औसतन 42.7 डिबेट्स में हिस्सा लिया और हर सांसद ने करीब 191 सवाल पूछे हैं। दूसरी ओर जबकि सन्नी देओल के राज्‍य पंजाब में सांसदों ने औसतन 35.1 ही बहस में भाग लिया। राज्य स्तर पर इनके सवालों की औसत 100 रही। इसके अलावा सन्नी देओल तो लोकसभा की एक भी चर्चा में शामिल नहीं हुए। कुल मिलाकर सन्नी देओल एक फ्लॉप सांसद साबित हुए हैं।

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ये है सांसद की नकारा छवि की वजह, नहीं हुआ व्हिप का भी कोई असर

जहां तक इसकी वजह की बात है, अजय सिंह उर्फ सन्नी देओल अपनी एक नेता की जिम्मेदारी भूलकर सिर्फ अभिनेता की जिम्मेदारी ही निभाते रहे हैं। बहुप्रतिक्षित फिल्म ‘गदर 2’ की शूटिंग और फिर प्रोमोशन में बिजी रहने के कारण अपने क्षेत्र और लोकसभा दोनों जगह से लापता रहे। दिल्‍ली सर्विसेज बिल पर वोटिंग में भी सन्नी देओल हाजिर नहीं थे, वहीं हाल ही में मणिपुर हिंसा को लेकर अविश्वास प्रस्ताव पर तीन दिन चली चर्चा में भी शामिल नहीं हुए। लोकसभा हलका गुरदासपुर के लोग और विपक्षी राजनैतिक पार्टियों की तरफ से इसे बेहद शर्मनाक बताया जा रहा है। उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अपने सांसदों को सदन में उपस्थित रहने को बाध्य करने के उद्देश्य से व्हिप तक भी जारी किया, लेकिन उसका भी सन्नी देओल पर कोई असर नहीं हुआ। होता भी कैसे? वह नेता नहीं, अभिनेता ही हैं।

सन्नी देओल की संसद में उपस्थिति

2019 के बजट सत्र में सन्नी देओल की हाजिरी 24 फीसदी रही तो शीतकालीन सत्र में 65 प्रतिशित। 2020 में बजट सत्र 13%, मॉनसून सत्र में 30% मौके रहे, जब सन्नी देओल सदन में उपस्थित थे। वर्ष 2021 में सन्नी देओल की हाजिरी बजट सत्र 38%, मॉनसून सत्र में 18% रही तो शीतकालीन सत्र में वह पहुंचे ही नहीं।

इसी तरह 2022 के बजट सत्र सन्नी देओल की उपस्थिति 11 प्रतिशत दर्ज की तो फिर इसके बाद के अब तक के चार सत्रों में से सिर्फ 2022 के बजट सेशन में सन्नी देओल की हाजिरी सिर्फ 8 फीसदी रही। 2022 के मॉनसून, शीतकालीन और हालिया मॉनसून सत्र में सन्नी देओल एक दिन भी सदन में नहीं पहुंचे।

इन विवादों में भी रहे सांसद सन्नी देओल

एक सांसद के रूप में अभिनेता सन्नी देओल कई बार विवादों में घिरते नजर आए। जिस वक्त किसान आंदोलन की वजह से पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ माहौल बना हुआ था, पार्टी के सांसद सन्नी पहले तो अपने मुंह में दही जमाए बैठे रहे और फिर जब वह गले से नीचे उतरने के बाद सांस आई तो उन्होंने पार्टी और किसान वर्ग दोनों के साथ होने की बात कह डाली। अब सोचने वाली बात यह भी है कि कोई भी व्यक्ति किसी एक ही पक्ष में तो हो सकता है, या तो पक्ष में या फिर विरोध में।

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First published on: Aug 20, 2023 02:45 PM
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