Punjab Government Scheme Impact, चंडीगढ़: पंजाब की मान सरकार की तरफ से खेतों में पराली जलाने की गंभीर समस्या के समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जिसके लगातार प्रयास से काफी प्रभावशाली परिणाम देखने को मिल रहे हैं। 2022 और 2023 में पराली जलाने के मामले में काफी अंतर देखा गया है। जहां 2022 में पराली जलाने के मामलों की संख्या 5798 थी। वहीं, 2023 में ये संख्या घटकर 2704 हो गई है। यानी पिछले साल के मुकाबले में इस साल 53% की भारी कमी आई है।
बता दें कि पंजाब में 31 लाख हेक्टेयर में धान की खेती जाती है, जिससे 20 मिलियन टन धान का भूसा पैदा होता है। इस धान के भूसे को ठाकने लगाने चुनौती से निपटने सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। जिसमें इन-सीटू (ऑन-फील्ड) और एक्स-सीटू (ऑफ-फील्ड) शामिल है।
सरकार की पहल
इन-सीटू प्रबंधन पहल में किसान समूहों के लिए 80% सब्सिडी और व्यक्तिगत किसानों के लिए 50% सब्सिडी पर फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों का प्रावधान शामिल है। इस पहल के तहत फसल की कटाई से पहले राज्य सरकार ने 24,000 मशीनों की खरीद को मंजूरी दी। इन में से 16,000 मशीनों का इस्तेमाल किसान पहले से ही कर रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने हर एक ब्लॉक में कस्टम हायरिंग सेंटर की स्थापना की। इसके लिए प्रदेश के जिलों को 7.15 करोड़ रुपए का आवंटित किए गए है। इसकी मदद से यह सुनिश्चित किया गया कि छोटे और सीमांत किसानों को CRM मशीनें मुफ्त प्रदान की जाएं। मौजूदा समय में पूरे पंजाब के अंदर 1.35 लाख CRM मशीनें हैं और उनके उपयोग को अधिकतम करने के लिए ठोस प्रयास किया जा रहा हैं।
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भूसे का भंडारण
इसके अलावा सरकार ने भूसे के भंडारण के लिए भूमि उपलब्ध कराकर बड़ी पहल की है। इसके साथ ही सरकार ने कई ओर ठोस कमद उठाए। जिसमें ईंटों के भट्टों पर 20% कोयले की जगह धान के भूसे के छर्रों का इस्तेमाल करवाना और ईंधन के रूप में धान के भूसे का उपयोग करने वाले पहले 50 बॉयलरों को 25 करोड़ फाइनेशनल स्पोर्ट की पेशकश करना शामिल है।
मान सरकार अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और उससे आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार पराली जलाने की संख्या को कम करने और नागरिकों को स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।