Northern Regional Council meeting, अमृतसर: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रदेश के आम आदमी के हकों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता को देहराते हुए मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उत्तरी जोनल कौंसिल की 31वीं बैठक में विभिन्न मुद्दे उठाए। सबसे पहले तो मुख्यमंत्री ने यह विशेष बैठक पवित्र गुरु नगरी अमृतसर में करने के लिए लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय का आभा जताया और का कि अतीत में कारोबारी सरगर्मियों का केंद्र रहा यह नगर राज्य सरकार की कोशिशों के चलते जल्द ही मध्य एशिया और उससे पार की मंडियों के लिए प्रवेश द्वार की भूमिका में जाना जाएगा।
अमृतसर के ताज होटल में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद बैठक
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद बैठक का आयोजन अमृतसर के ताज होटल में किया गया। जहां गृहमंत्री अमित शाह को सीएम भगवंत मान ने एस्कॉर्ट किया। इस बैठक में सीएम भगवंत मान, सीएम मनोहर लाल खट्टर और गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित के अलावा हिमाचल के CM सुखविंदर सिंह सुक्खू समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री और हर एक राज्य के दो वरिष्ठ मंत्री, केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल/प्रशासकों ने हिस्सा लिया।
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इस दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने देश में संघीय ढांचे को सही मायने में लागू किए जाने को लेकर कहा कि राज्यों को और ज्यादा वित्तीय एवं राजनैतिक शक्तियां दिए जाने की जरूरत है। सभी इस बात पर एकमत हैं कि राजनैतिक पार्टियों के जंजाल से ऊपर उठकर राज्य सरकारों को अपनी विकास प्राथमिकताओं के चयन और राजस्व बढ़ाने के लिए ज्यादा छूट मिले। संघवाद हमारे संविधान का बुनियादी सिद्धांत है, लेकिन बदकिस्मति से पिछले 75 साल में इस अधिकार का केंद्रीयकरण ही होता रहा। आधुनिक युग में राज्य सरकारें अपने लोगों की समस्याओं को बेहतर ढंग से समझ और हल कर सकती हैं।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड को लेकर 2022 से पहले की व्यवस्था फिर बहाल करने की मांग
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में राजस्थान को मैंबर बनाने की मांग का विरोध करते हुए भगवंत मान ने कहा कि यह बोर्ड पंजाब राज्य पुनर्गठन एक्ट 1966 के प्रस्तावों के अधीन बना था। इसके मूल में पंजाब और हरियाणा के मसल ही हैं। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश या किसी अन्य प्रांत का इसके साथ कोई लेना-देना नहीं है। उधर, इस बाेर्ड में सिंचाई और ऊर्जा को लेकर सदस्यों की सीधी भर्ती का भी भगवंत ने प्रतिकार किया। उन्होंने कहा कि अब तक ऊर्जा मेंबर पंजाब से तो सिंचाई प्रतिनिधि हरियाणा से नियुक्त होता था। नई व्यवस्था में पंजाब से कोई भी इंजीनियर ऊर्जा प्रतिनिधि के पद के लिए आवेदन करने के योग्य नहीं है। बोर्ड में पंजाब के योगदान को देखते हुए 2022 से पहले की व्यवस्था बहाल की जाए।
जोगिन्दर नगर शानन पावर हाउस के स्थानांतरण के प्रस्ताव का किया विरोध
इस अवसर पर सीएम भगवंत मान ने कहा कि 1925 में मंडी के राजा द्वारा 99 साल का पट्टा दिए जाने के तर्क के साथ हिमाचल प्रदेश ने जोगिन्दर नगर में शानन पावर हाउस को स्थानांतरित करने का मुद्दा उठाया है। पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 के उपबंधों के अंतर्गत पंजाब राज्य बिजली बोर्ड को सौंपे गए इस प्रोजेक्ट को स्थानांतरित करने का प्रस्ताव बड़े दुख की बात है। 1975 से 1982 तक पंजाब राज्य बिजली बोर्ड ने अपने खर्चे पर प्रोजेक्ट का विस्तार किया और इसकी क्षमता 48 मेगावाट से बढ़ाकर 110 मेगावाट की। अब यह मामला केंद्रीय बिजली मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन है। उम्मीद है कि भारत सरकार सही कानूनी स्थिति बरकरार रखेगी।
राजस्थान की मांग को पंजाब की बाढ़ से जोड़ा मुख्यमंत्री ने
राजस्थान द्वारा भाखड़ा डैम और पौंग डैम में जल भंडार का स्तर बरकरार रखने की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीकी तौर पर जब इन डैमों का डिजाइन तैयार किया गया तो उस समय पर भाखड़ा डैम की असल ऊंचाई 1685 फुट थी और पौंग डैम की ऊंचाई 1400 फुट थी। 1988 में पंजाब ने कई बार बाढ़ का सामना किया और उसके बाद भारत सरकार और सीडब्ल्यूसी ने एक फैसला लिया और भाखड़ा एवं पौंग डैमों का एफआरएल का स्तर क्रमवार 5 फुट और 10 फुट घटा दिया गया। बताने योग्य है कि सतलुज या ब्यास नदियों का बाढ़ का पानी हरियाणा, राजस्थान या किसी अन्य राज्य को नहीं जाता। इस कारण 1988 में ही नहीं, 2019 में भी तो अब इसी साल फिर पंजाब को बाढ़ के कारण बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। पहाड़ी इलाकों में मूसलाधार बारिश के कारण राज्य के 16 जिलों में बाढ़ आने के कारण जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ है। बदकिस्मति से जो राज्य पंजाब से पानी में हिस्सा मांगते हैं, वो इस दौरान पानी लेने के लिए भी तैयार नहीं हुए। हालांकि प्रदेश के आपदा प्रबंधन के पास फंड की कमी नहीं है, लेकिन नुकसान के मुआवजे के लिए नियमों में ढील देने की जरूरत है।
भगवंत बोले-SYL नहीं, बल्कि YSL पर विचार होना चाहिए
इस दौरान पंजाब के पास किसी भी राज्य को देने के लिए एक बूंद भी पानी नहीं होने की बात दोहराते हुए सीएम भगवंत मान ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक (SYL) नहर की बजाय यमुना सतलुज लिंक (YSL) के प्रोजेक्ट पर विचार करना चाहिए। मौजूदा स्थिति में जो मुद्दा बना हुआ है, उसके निर्माण से कानून-व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। यह एक राष्ट्रीय समस्या बन जाएगी और इसका नुकसान हरियाणा-राजस्थान को भुगतना पड़ेगा। इसी के साथ पाकिस्तान को बेकार जाते उज्ज और रावी नदियों के पानी के प्रयोग की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने बहुत समय पहले यह प्रस्ताव दिया था कि रावी नदी के साथ-साथ बैराज का निर्माण किया जाए, जो नदी उच्च और रावी नदी के सुमेल वाली जगह मकौड़ा पत्तन तक बने जो भारत-पाकिस्तान सरहद के चार किलोमीटर के दायरे में आती है। इसके अलावा इस पानी का प्रयोग करने और डिस्चार्ज को यूबीडीसी कैनाल सिस्टम के कलानौर और रमदास डिस्ट्रीब्यूट्री सिस्टम की तरफ मोड़ने का प्रस्ताव भी रखा गया था, जिससे इस सिस्टम को ग़ैर-निरंतर से शाश्वत बनाया जा सके। इस प्रोजेक्ट को जल्द मंजूरी दी जानी चाहिए।
इन मुद्दों पर भी की सीएम मान ने खुलकर बात
हिमाचल प्रदेश द्वारा हाईड्रो पावर प्रोजेक्टों पर वाटर सैस लगाने, पंजाब यूनिवर्सिटी को ग्रांटें जारी करने, भारत विभाजन के बाद लाहौर से पंजाब की राजधानी होशियारपुर और फिर चंडीगढ़ स्थापित होने तो मौजूदा स्थिति में हरियाणा के साथ इसके मसले पर भी भगवंत मान ने खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 1966 में पुनर्गठन एक्ट के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी चार हिस्सेदारों जैसे कि केंद्र, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के साथ अंतर राज्यीय बॉडी कॉर्पोरेट बन गई। यूनिवर्सिटी के खर्चे केंद्र (40 प्रतिशत) के साथ तीन हिस्सेदार राज्यों ( 20:20:20) द्वारा बराबरी में साझे किए जाने थे। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों ने 1973 और 1975 में पंजाब यूनिवर्सिटी से अपने कॉलेज वापस ले लिए और अपनी यूनिवर्सिटियां स्थापित कर ली तो पंजाब यूनिवर्सिटी को फंड देना बंद कर दिया। अब पिछले 50 साल से सिर्फ पंजाब ही इस यूनिवर्सिटी को मदद दे रहा है। इसके अलावा भगवंत सिंह मान ने राज्य में अहमियत रखते दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा करते हुए प्रदेश की जनता के हितों की रक्षा का संकल्प दोहराया।