चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने शनिवार को पूर्व जस्टिस निर्मल यादव को 17 साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले में बरी कर दिया। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की पूर्व जस्टिस के अलावा सीबीआई अदालत ने मामले में 3 अन्य आरोपियों रविंदर सिंह भसीन, राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह को भी बरी करने के आदेश दिए। मामला अगस्त 2008 में सामने आया था। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अलका मलिक की विशेष अदालत ने आरोपियों और अभियोजन पक्ष के अंतिम तर्कों को सुना। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 29 मार्च की तिथि मुकर्रर की थी।
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जस्टिस निर्मलजीत कौर उस समय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की जज थीं। उनके घर में 15 लाख रुपये भेजे गए थे। यह बैग उनके कर्मचारी ने चंडीगढ़ पुलिस के हवाले किया था। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार यह राशि हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता संजीव बंसल के क्लर्क द्वारा निर्मल यादव के लिए भेजी गई थी। दोनों जजों के नामों में समानता के कारण कैश गलती से जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पहुंच गया था।
2010 में उत्तराखंड ट्रांसफर
2010 में जस्टिस यादव को उत्तराखंड हाई कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था। यहां से सेवानिवृत्त होने से एक साल पहले उनके और दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था। 2014 में मामले में स्पेशल कोर्ट ने 5 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। 2016 में मोहाली में संजीव बंसल की मौत हो गई थी। इसके चलते जनवरी 2017 में उनके खिलाफ केस बंद कर दिया गया था। जस्टिस कौर ने 2016 में गवाही के दौरान कहा था कि उनके चपरासी अमरीक ने आकर कहा था कि मैडम दिल्ली से कुछ दस्तावेज आए हैं। मैंने जैसे ही पैकेट को फाड़ा, उसमें कैश निकला था। बिना देर किए मैंने कहा था कि पकड़ो, इसको कौन लाया है?
[BREAKING] Cash at judge’s door: Chandigarh court acquits Justice Nirmal Yadav in 2008 corruption case
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— Bar and Bench (@barandbench) March 29, 2025
मामले में 69 लोगों ने दी गवाही
इसी दौरान संजीव बंसल ने कॉल करके कहा कि यह कैश उनके घर गलती से पहुंचा था। यह जस्टिस निर्मल यादव के लिए था, तब तक चंडीगढ़ पुलिस को सूचना दी जा चुकी थी। अभियोजन पक्ष ने मामले में 84 गवाह तय किए थे, जिनमें से 69 लोगों ने गवाही दी। इस साल फरवरी में 12 गवाहों की हाई कोर्ट ने सीबीआई से दोबारा जांच करने को कहा था।
कौन हैं यादव
जस्टिस यादव को 1975 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की बार काउंसिल के सदस्य के रूप में नामांकित किया गया था। 1986 में वे अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में चयनित हुई थीं। 2000 से जनवरी 2002 वे हाई कोर्ट की रजिस्ट्रार रहीं। 5 नवंबर 2004 को उन्होंने उच्च न्यायालय में जज के तौर पर शपथ ली थी।
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