पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार है। इस बीच ट्रेडर्स के लिए राहत की खबर आई है। भारत ने अफगानिस्तान के ट्रकों की एंट्री को मंजूरी दे दी है। दरअसल, भारत ने पाकिस्तान की सीमा में फंसे हुए करीब 162 अफगानी ट्रक को एंट्री की इजाजत दे दी है। इसी कड़ी में अफगानिस्तान से आने वाले 5 ट्रकों ने शुक्रवार (16 मई) और 10 ट्रकों ने आज यानी शनिवार को अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट से भारत में प्रवेश किया। भारतीय अधिकारियों ने स्पेशल गेस्चर के रूप में करीब 162 अफगान ट्रकों को सूखे मेवे और ड्राई फ्रूट के साथ प्रवेश की अनुमति दी है।
अफगानी ट्रकों को भारत में प्रवेश की मिली मंजूरी
गौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की तरफ से ऑपरेशन सिंदूर चलाए जाने के बाद पाकिस्तान के साथ व्यापारिक समझौते रद्द कर दिए गए हैं। इससे मुख्य रूप से अफगानिस्तान और अन्य मुल्कों से आने वाले सामानों को पाकिस्तान के रास्ते अमृतसर के अटारी-वाघा बॉर्डर से भारत में प्रवेश करने में मुश्किल आ रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अटारी-वाघा बॉर्डर के जरिए होने वाला व्यापार बंद हो गया था, लेकिन शुक्रवार को एक बार फिर से भारत सरकार ने अफगानी ट्रकों को प्रवेश की इजाजत दे दी।
अटारी ट्रक यूनियन के अध्यक्ष ने कही ये बात
इस फैसले के बाद शुक्रवार को 5 ट्रक भारत आए थे और आज 10 ट्रक को प्रवेश की अनुमति मिली है। अटारी ट्रक यूनियन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने बताया कि पाकिस्तान में अफगानिस्तान से आई हुई 162 गाड़ियां खड़ी हैं, जिनको भारत ने प्रवेश की अनुमति दे दी है। उन्होंने बताया कि जब भी दोनों मुल्कों में तल्खी बढ़ती है या जंग जैसे हालात होते हैं तो हजारों लोगों के रोजगार पर असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत में अटारी बॉर्डर पर व्यापार में भारी गिरावट आई है, लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत व्यापर हो रहा था, लेकिन जब से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़े हैं तब से अटारी-वाघा बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरिमनी भी बंद हो गई है, जिससे पूरे अमृतसर के रोजगार पर खासा असर पड़ा है।
होटल कारोबारियों पर बड़ा असर
उन्होंने बताया कि अमृतसर में औसतन 5000 से 6000 होटल हैं, जो अटारी वाघा बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी पर निर्भर करते हैं, क्योंकि रोजाना हजारों की संख्या में सैलानी आकर रिट्रीट सेरेमनी देखते हैं। लेकिन, जब से यह बंद हुई है तब से उनके व्यापार पर भी खासा असर पड़ा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अटारी सरहद पर भी फोटो, कैलेंडर, लॉकेट आदि बेचने वाले लोगों का गुजारा भी इस रिट्रीट सेरेमनी पर निर्भर करता है, उनके घरों में भी आज खाने के लाले पड़े हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ट्रक यूनियन को भी इसका बहुत प्रभाव पड़ता है, क्योंकि जब व्यापार नहीं होता, दूसरे मुल्कों से आदान प्रदान नहीं होता तो ट्रकों का इस्तेमाल नहीं होता है। इससे उनके रोजगार पर भी असर पड़ता है।