बिहार : बिहार के युवा लेखक चर्चे में आए उनकी पहली किताब जिसमें उन्होंने बिहार के एक उर्दू लेखक की जीवनी लिखी थी। किताब की कई हजार प्रतियाँ लोगो ने ली और किताब को लोगो द्वारा बहुत पसंद किया गया। वहीं अमजद अब अपने अगले पड़ाव पर चल पड़े हैं। अमजद ने अपना अगला पड़ाव बिहार के सूफी बुजुर्गों के बारे में लिखने को चुना है।
अमजद बताते हैं बिहार को सूफी बुजुर्गों ने अपने कदमों से पाक काम किया है। हमेशा सूफी ने भाईचारे का पाठ पढ़ाया है मिल-जुल कर रहने का सबक दिया है। बिहार में अनेकों मजार मौजूद है लेकिन अक्सर लोग मजार में दफ़्न सूफी का नाम तक नहीं जानते सिर्फ़ बाबा कह कर पुकारते हैं। हमारे लिए ज़रूरी है कि उन बाबा पीर साहब का नाम भी जाने और उनके जीवन के बारे में भी पता करें।
अमजद किताब खास तौर पर किताब को बिहार के सभी सूफ़ी बुजुर्गों को समर्पित करना चाहते हैं। अमजद ने खुलासा किया कि उनकी इस किताब में सुन्नी मुसलमानों द्वारा इमाम-ए-अहले सुन्नत पुकारे जाने वाले अहमद रज़ा खान बरेलवी और उनके खलीफा सैयद ज़फ़रूद्दीन बिहारी के जीवन पर खास तौर से चर्चा होगा। वहीं अमजद सूफ़ीवाद के बारे में बताते हैं कि भारत में सबसे मशहूर क़ादरी सिलसिला माना जाता है और इसके इलावा चिश्ती सिलसिला, सुहरावर्दी सिलसिला सहित अन्य कई सूफी सिलसिला हैं।
कौन है युवा लेखक सय्यद अमजद हुसैन ?
सय्यद अमजद हुसैन बिहार प्रदेश के शेखपुरा जिला से हैं। वह अभी मौलाना अबुल कलाम आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी से बीबीए की शिक्षा के लिए अध्ययनरत हैं। अमजद का ताल्लुक बिहार के महान सूफी बुजुर्ग सैयद अहमद जाजनेरी के खानदान से है।