Uddhav Thackeray to Leave MVA after Maharashtra Results 2024: महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के बाद से राज्य की सियासत लगातार सुर्खियां बटोर रही है। बीते दिन महायुति में सीएम पद पर फंसा पेंच खत्म हुआ, तो अब विपक्षी खेमें में हलचल तेज होने लगी है। खबरों की मानें तो महाराष्ट्र में करारी हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे पर दवाब बना रहे हैं। उनका कहना है कि उद्धव ठाकरे को महाविकास अघाड़ी (MVA) से अलग हो जाना चाहिए।
उद्धव ठाकरे को मिली MVA छोड़ने की सलाह
महाराष्ट्र चुनाव में सिर्फ 20 सीटें जीतने के बाद शिवसेना (UBT) के नेताओं ने MVA के खिलाफ बगावत के तार छेड़ दिए हैं। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार कई लोगों का मानना है कि शिवसेना (शिंदे) ने शिवसेना (UBT) की जगह ले ली है। महायुति का हिस्सा बनी शिवसेना (शिंदे) 57 सीटों के साथ राज्य की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों का हवाला देते हुए लिखा कि आदित्य ठाकरे, राज्यसभा सांसद संजय राउत समेत शिवसेना (UBT) के कई बड़े नेताओं ने उद्धव ठाकरे को MVA से नाता तोड़ने की सलाह दी है।
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नेता प्रतिपक्ष ने भी दिया बयान
महाराष्ट्र की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे का कहना है कि हमारे ज्यादातर विधायकों को लगता है कि शिवसेना (UBT) को अपना अलग रास्ता चुनना चाहिए। पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन पर निर्भर नहीं होना चाहिए। शिवसेना कभी सत्ता के पीछे भागने के लिए बनी ही नहीं थी। सत्ता खुद शिवसेना के पास आएगी, बशर्ते हम अपनी विचारधारा पर टिके रहें तो।
2022 में हुआ था विभाजन
बता दें कि 2022 में शिवसेना का विभाजन हो गया था। उस दौरान पार्टी के ज्यादातर विधायक और सांसदों ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना में जाने का फैसला किया था। वहीं शिवसेना (UBT) ने महाविकास अघाड़ी (MVA) से हाथ मिलाया था। ऐसे में पार्टी के ही कई नेताओं ने उद्धव ठाकरे पर बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा और हिंदुत्व के एजेंडे से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाया था।
किसे मिली थीं कितनी सीटें?
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों में भी MVA को 288 सीटों में से सिर्फ 46 सीटें ही मिलीं। इसमें 20 सीट शिवसेना (UBT), 16 सीटें कांग्रेस और 10 सीटें एनसीपी (शरद पवार) तो मिली थीं। वहीं शिवसेना (UBT) को 9.96 प्रतिशत वोट शेयर से संतोष करना पड़ा था। जो कि शिवसेना (शिंदे) के वोट शेयर से 3 फीसदी कम था।
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