The Kerala Story: द केरला स्टोरी फिल्म को पश्चिम बंगाल में बैन कर दिया गया है वहीं, तमिलनाडु में स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई है। इस फैसले पर फिल्म के निर्माता विपुल शाह ने नाराजगी जताई है। उन्होंने मुंबई में सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। कानून के प्रावधानों के तहत जो भी संभव होगा, हम उससे लड़ेंगे।
दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने द केरला स्टोरी फिल्म को विवादित बताते हुए इसे प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। सीएम का तर्क है कि नफरत और हिंसा की किसी भी घटना से बचने और राज्य में शांति बनाए रखने के लिए फिल्म पर प्रतिबंध लगाया गया है।
अगर उन्होंने(मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) ऐसा किया है, तो हम कानूनी कार्रवाई करेंगे। कानून के प्रावधानों के तहत जो भी संभव होगा, हम लड़ेंगे: पश्चिम बंगाल में फिल्म द केरल स्टोरी के बैन किए जाने पर फिल्म के निर्माता विपुल अमृतलाल शाह, मुंबई pic.twitter.com/CJlB2uD6lo
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 8, 2023
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अभी लाभ या हानि पर बात नहीं
बैन से फिल्म को होने वाले नुकसान के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा कि हम अभी लाभ या हानि की बात नहीं करेंगे। हम केवल यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि अधिक से अधिक लोग फिल्म देखें। यदि कोई राज्य सरकार या कोई निजी व्यक्ति फिल्म को रोकने की कोशिश करता है तो फिर हम हर संभव कानूनी रास्ता अपनाएंगे। निर्माता शाह ने द केरल स्टोरी को गंभीर सामाजिक विषय पर एक फिल्म कहा और तमिलनाडु सरकार से फिल्म की निर्बाध और निष्पक्ष रिलीज सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।
उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा, तमिलनाडू में एक व्यक्ति ने धमकी देकर इस फिल्म को रिलीज़ होने से रोक दिया। मैं वहां की डीएमके और कांग्रेस की सरकार को निवेदन करूंगा कि वे जल्द से जल्द इस पर एक्शन लें और इस फिल्म को रिलीज करें।
केरल हाईकोर्ट ने रिलीज पर रोक लगाने से किया इंकार
द केरला स्टोरी रिलीज के साथ ही विवादों में हैं। इस फिल्म को लेकर वर्ग दो धड़ों में बंट गया है। इसमें केरल की महिलाओं के एक समूह की दुर्दशा को दर्शाया गया है, जिन्हें धर्म परिवर्तन और आईएसआईएस में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है। पीएम मोदी इस फिल्म की प्रशंसा कर चुके हैं। वहीं, केरल की सत्तारूढ़ सीपीआई (एम), टीएमसी और कांग्रेस विरोध में हैं। आरोप है कि फिल्म झूठा दावा करती है कि 32 हजार महिलाओं का धर्मांतरण हुआ और कट्टरपंथी बनाया गया।
केरल उच्च न्यायालय ने रिलीज पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था और कहा था कि ट्रेलर में किसी विशेष समुदाय के लिए कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) ने फिल्म की जांच की है और इसे सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपयुक्त पाया है।