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मुंबई

हलफनामे में ’10वीं फेल’ के टैग ने किया परेशान, कौन हैं 58 साल की उम्र में SSC पास करने वाले सांसद?

Shrirang Barne: महाराष्ट्र में सांसद श्रीरंग बारणे शिवसेना की टिकट पर 2014 और 2019 में सांसद बने। उन्हें अपने शपथपत्र में दोनों बार लिखना पड़ा कि वह 'दसवीं फेल' हैं, फिर यहीं से उनकी जिंदगी बदलनी शुरू हो गई।

Author Edited By : Shabnaz Updated: Feb 21, 2025 06:57
Shrirang Barne

Shrirang Barne: पढ़ाई करने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती है। उसके लिए बस दिल में जज्बा होना चाहिए। इस बात को सच किया है, पुणे के मावल लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सांसद रह चुके श्रीरंग बारणे ने। 61 साल के श्रीरंग बारणे को अपने जीवन में केवल एक ही चीज परेशान कर रही थी, वह था उनपर लगा 10वीं फेल का टैग। बारणे ने अपने हलफनामे में 10वीं फेल लिखा देखा, तो उन्हें लगा कि वे पिछड़ रहे हैं। फिर क्या था इस टैग को हटाने के लिए उन्होंने एसएससी (Secondary School Certificate) पास करने का फैसला किया।

10वीं फेल का टैग

श्रीरंग बारणे 2014 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय वह मावल से जीतकर सांसद बने। उन्होंने 2019 में एक बार फिर से भी जीत हासिल की, इस बार उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बड़े बेटे पार्थ को शिकस्त दी थी। मिड डे की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों बार उनको जीत मिली, लेकिन उनको एक चीज परेशान कर रही थी, वह थी उनकी एजुकेशन। हलफनामे में जब उन्होंने दोनों बार 10वीं फेल लिखा देखा, तो उन्हें लगा कि वे पिछड़ रहे हैं।

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58 साल की उम्र में पढ़ाई

2022 में 58 की उम्र में बारणे ने 10वीं की परीक्षा फिर से देने के बारे में सोचा। इस बार उन्होंने एसएससी बोर्ड परीक्षा पास कर ली। 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करते समय, वह हलफनामे में ‘एसएससी पास’ लिख सकते थे। यह उनके लिए गर्व की बात थी। अपनी जीत पर बारणे ने कहा कि वह हमेशा से अपनी शिक्षा पूरी करना चाहते थे, लेकिन मेरे बिजी शेड्यूल की वजह से यह हो नहीं पाया।

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1980 में, बारणे ने अपनी एसएससी बोर्ड परीक्षा दी, लेकिन साइंस में वह फेल हो गए थे। वह कहते हैं कि पुरस्कार और चुनाव जीतना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अंदर से मुझे पता था कि मुझे यह लक्ष्य हासिल करना है।

रात में करते थे पढ़ाई

2019 में कोविड-19 के दिनों में, बारणे ने अपने साइंस के पेपर को पास करने के लिए एसएससी बोर्ड परीक्षा में फिर से बैठने का फैसला किया। उनके करीबियों के मुताबिक, बारणे आमतौर पर रात में या जब भी उन्हें काम से वक्त मिलता था, वह पढ़ाई करते थे। आपको बता दें कि बारणे को पांच बार संसद रत्न पुरस्कार और महा संसद रत्न पुरस्कार मिल चुका है।

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Shabnaz

First published on: Feb 21, 2025 06:54 AM

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