Satara Doctor Suicide: महाराष्ट्र के सतारा जिले के फलटण में डॉक्टर आत्महत्या मामले ने सियासी हलचल मचा दी है. जहां एक तरफ पुलिस की जांच जारी है, वहीं विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. पुलिस की जांच और सरकार की भूमिका पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. बुधवार को इस मामले में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की एंट्री हुई. राहुल गांधी ने फोन पर मृतक डॉक्टर के परिजनों से बात की और न्याय की लड़ाई में पूरा साथ देने का आश्वासन दिया.
बता दें, गुरुवार की रात फलटण में 28 वर्षीय महिला डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली थी. डॉक्टर ने अपनी हथेली पर एक नोट भी लिखा था, लेकिन परिजनों का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या है.
पिछले गुरुवार महाराष्ट्र के सतारा जिले के फलटण इलाके में 28 वर्षीय महिला डॉक्टर की आत्महत्या का मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है. मृतक डॉक्टर के परिजन इस आत्महत्या को हत्या करार दे रहे हैं, और अब उन्हें विपक्ष का भी समर्थन मिल रहा है.
राहुल गांधी ने की पीड़ित परिवार से मुलाकात
वहीं, बुधवार को राज्य कांग्रेस अध्यक्ष, पीड़िता के परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे. इस दौरान राहुल गांधी ने भी फोन पर परिवार वालों से बातचीत की और न्याय की लड़ाई में उनके साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया. परिजनों और कांग्रेस का आरोप है कि इस मामले में असली दोषियों को बचाया जा रहा है और पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर रही है. लिहाजा, कांग्रेस ने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की है.
बता दें कि पिछले गुरुवार, बीड़ जिले की रहने वाली 28 वर्षीय महिला डॉक्टर ने सातारा के एक होटल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. मृतक डॉक्टर सातारा के एक सब-डिस्ट्रिक्ट अस्पताल में कार्यरत थीं. आत्महत्या से पहले उन्होंने अपनी हथेली पर सुसाइड नोट लिखा था.
इस नोट में डॉक्टर ने एक स्थानीय पुलिस अधिकारी गोपाल बड़ाने पर रेप का और अपने मकान मालिक के बेटे प्रशांत बनकर पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था. आत्महत्या के इस मामले ने तेजी से तूल पकड़ा और पुलिस हरकत में आई.
मामला सामने आने के बाद दोनों आरोपी फरार हो गए. हालांकि, पुलिस ने प्रशांत बनकर को पुणे से गिरफ्तार किया, जबकि पुलिस अधिकारी गोपाल बड़ाने ने खुद सरेंडर कर दिया, लेकिन जांच के दौरान कई अहम खुलासे भी हुए.
महिला डॉक्टर और स्थानीय पुलिस के बीच चल रहा था विवाद?
जांच में सामने आया कि महिला डॉक्टर और स्थानीय पुलिस के बीच पहले से ही विवाद चल रहा था. डॉक्टर के मुताबिक, उन पर फर्जी रिपोर्ट तैयार करने का दबाव डाला जा रहा था. इस केस में एक सांसद का नाम सामने आने के बाद मामला और भी ज्यादा राजनीतिक हो गया है.
इस दौरान महिला डॉक्टर की प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी सामने आई, जिसमें मौत का कारण फांसी लगने से दम घुटना बताया गया है. डॉक्टर के होटल में प्रवेश करते हुए सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए हैं.
पुलिस जांच के मुताबिक, प्रशांत बनकर और महिला डॉक्टर के बीच कई बार मैसेज का आदान-प्रदान हुआ था, और दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. हालांकि, डॉक्टर के परिवार वाले इस मौत को हत्या बता रहे हैं. परिवार का आरोप है कि डॉक्टर की मौत के बाद किसी ने उनके मोबाइल फोन को फिंगरप्रिंट से अनलॉक कर अहम सबूत मिटा दिए.
निधन के बाद भी व्हाट्सएप पर दिखा लास्ट सीन
परिजनों का कहना है कि निधन के बाद भी उनके व्हाट्सएप अकाउंट पर ‘लास्ट सीन’ दिखाई दे रहा था, जिससे शक और गहरा गया है. परिवार ने सरकार से मांग की है कि मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल यानी एसआईटी का गठन किया जाए और मुकदमा बीड़ की फास्ट-ट्रैक अदालत में चलाया जाए.
फिलहाल इस मामले में पुलिस जांच जारी है, लेकिन परिजनों का गुस्सा और विपक्ष का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. पुलिस का कहना है कि सभी एंगल से जांच की जा रही है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तथा डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. लेकिन सवाल यह है कि क्या डॉक्टर की मौत के पीछे की सच्चाई सामने आ पाएगी या यह केस भी राजनीतिक बहसों में कहीं खो जाएगा?
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