Online lottery fraud in pune : पुणे शहर की पुलिस ने एक रिटायर्ड भारतीय सेना के जवान को 2009 में ऑनलाइन लॉटरी फ्रॉड में धोखा देने के बाद मुंबई से एक नाइजीरियाई को उसके भारतीय सहयोगी के साथ गिरफ्तार किया था, जिसके बाद दोनों को 2011 में पुणे की खड़की अदालत ने दोषी ठहराया था। जांच अधिकारी और सरकारी वादी(prosecutor) के अनुसार, यह यकीनन पुणे में पहला साइबर अपराध मामला था, जिसमें ऑनलाइन लॉटरी घोटाले के आरोपियों को अदालत ने दोषी ठहराया था।
ऐसे किया गया फ्रॉड
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, पुणे के खड़की इलाके में रहने वाले पूर्व सेना कर्मी आर एस मौर्य को 2009 के शुरुआती महीनों में एक ईमेल मिला, जिसमें कहा गया कि उन्होंने 8.5 लाख डॉलर की लॉटरी जीती है। जैसे ही मौर्य ने इस ईमेल का जवाब दिया, उस व्यक्ति ने उनके साथ एक बैंक खाते की जानकारी साझा की।
उस व्यक्ति ने मौर्य को अपनी लॉटरी राशि प्राप्त करने के लिए इस बैंक खाते में कूरियर शुल्क के रूप में 40,000 रुपये जमा करने के लिए कहा। इसके बाद मौर्य को एक और ईमेल प्राप्त हुआ जिसमें उनसे लॉटरी का पैसा पाने के लिए ब्रिटिश अंतर्देशीय राजस्व(inland Revenue) के रूप में 2.87 लाख रुपये और सीमा शुल्क के रूप में 1.4 लाख रुपये जमा करने को कहा गया। मौर्य द्वारा पैसे ट्रांसफर करने के बाद, उस व्यक्ति ने उन्हें बताया कि उनकी लॉटरी राशि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में जमा कर दी गई है। मौर्य को एक बार फिर आरबीआई से लॉटरी का पैसा चुकाने के लिए 3.57 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया।
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फ्रॉड ईमेल के जरिए धोखाधड़ी
हालांकि, मौर्य ने आरबीआई से दोबारा जांच की तो पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है और लॉटरी के संबंध में उन्हें जो ईमेल मिले थे, वे फ्रॉड थे। उन्होंने मई 2009 में पुणे पुलिस के साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। बाद में मामला अगस्त 2009 में खड़की पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया। एफआईआर दर्ज होने के बाद खड़की पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की, जांच से पता चला कि जिस बैंक खाते में शिकायतकर्ता का पैसा ट्रांसफर किया गया था वह आईसीआईसीआई बैंक खाता था, जिसे मुंबई निवासी डी ए झावेरी द्वारा संचालित किया जाता था। इसके बाद पुलिस ने इस मामले में कथित ‘मनी म्यूल’ झावेरी को गिरफ्तार कर लिया।
परत-दर-परत खुली पोल
एक सर्च ऑपरेशन के बाद झावेरी को पकड़ लिया गया। यह पूछताछ, नाइजीरियाई नागरिक इमानुएल इसुका तक ले गई, जो उस समय धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में ठाणे की जेल में बंद था। इसुका एजुकेशन वीजा पर भारत आया था, लेकिन बाद में वह साइबर धोखाधड़ी में फंस गया। सोलापुर के अक्कलकोट पुलिस स्टेशन में अब एक वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक कोली ने कहा, हमने शिकायतकर्ता, खड़की में एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी को लॉटरी ईमेल भेजने में उसकी संलिप्तता(Involvement) पाई गई। वहीं कोली ने कहा कि उन्होंने इसुका को जांच के लिए हिरासत में ले लिया, जिसकी उम्र उस समय 40 साल से कम थी।
जांच से पता चला कि नाइजीरियाई नागरिक द्वारा चलाए गए ऑनलाइन लॉटरी घोटाले के पीड़ितों से प्राप्त धन झावेरी के बैंक में एकत्र किया गया था। नाइजीरियाई आरोपी ने झावेरी को उसके बैंक खाते में धोखाधड़ी से जमा की गई रकम का 2 प्रतिशत देने की पेशकश की थी।