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मुंबई

Mumbai News: ‘एक महिला की चुप्पी और एक मंत्री की ताकत’, कौन जीता, कौन हारा?

महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाठ के बेटे सिद्धांत शिरसाठ पर एक विवाहित महिला ने गंभीर आरोप लगाए। लेकिन करीब 24 घंटे बाद महिला ने अपने सारे आरोप वापस भी ले लिए और पूरा मामला निजी बताकर चुप्पी साध ली।

Author Written By: Vinod Jagdale Author Edited By : News24 हिंदी Updated: May 28, 2025 09:59
Minister Sanjay Shirsath
Minister Sanjay Shirsath

महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई जब सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाठ के बेटे सिद्धांत शिरसाठ पर एक विवाहित महिला ने गंभीर आरोप लगाए। जिनमें धोखाधड़ी, मानसिक और शारीरिक शोषण, जबरन गर्भपात और धमकियाँ शामिल थीं। लेकिन इस सनसनीखेज आरोपों का अंत भी उतना ही चौंकाने वाला रहा। महज 24 घंटे में महिला ने अपने सारे आरोप वापस ले लिए और पूरा मामला निजी बताकर चुप्पी साध ली। बता दें कि जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया, तो मंत्री संजय शिरसाठ और उनका परिवार पूरी तरह चुप रहा।

क्या था मामला?

पीड़िता के वकील द्वारा जारी की गई कानूनी नोटिस में कहा गया कि 2018 में सोशल मीडिया के माध्यम से सिद्धांत शिरसाठ से पहचान हुई, जो जल्द ही भावनात्मक संबंधों में बदल गई। इसके बाद आत्महत्या की धमकियों और शादी के झूठे वादों से महिला को मानसिक रूप से ब्लैकमेल किया गया।महिला का दावा है कि 14 जनवरी 2022 को दोनों ने बौद्ध पद्धति से विवाह किया, जिसके प्रमाण उसके पास हैं। संबंधों के दौरान उसे गर्भवती भी किया गया और बाद में जबरन गर्भपात कराया गया।

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12 घंटे में पलटी कहानी

जब यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया, तो मंत्री संजय शिरसाठ और उनका परिवार पूरी तरह चुप रहा। न कोई बयान, न कोई सफाई। लेकिन इसके कुछ ही घंटों बाद महिला ने अचानक बयान दिया कि यह उसका निजी मामला है और उसने सभी आरोप वापस ले लिए।

क्या महिला पर डाला गया दबाव?

इस अचानक आए ‘यू-टर्न’ पर सवाल उठाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने आरोप लगाया कि महिला पर राजनीतिक दबाव बनाया गया। क्या यही है सामाजिक न्याय मंत्री का न्याय? बेटे को बचाने के लिए पीड़िता पर दबाव डालना और मामला रफा-दफा कर देना? उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से इस पूरे घटनाक्रम पर जवाब मांगा है।

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न्याय की जगह निजी मामला

यह घटना न केवल कानून और न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह राजनीतिक रसूख न्याय के रास्ते को मोड़ सकता है।जब राज्य का ‘सामाजिक न्याय मंत्री’ खुद अपने बेटे पर लगे आरोपों को 24 घंटे में “सुलझा” लेता है, तो आम जनता के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या सामाजिक न्याय सिर्फ सत्ता के करीबी लोगों के लिए है? आम महिलाओं के लिए नहीं?

First published on: May 28, 2025 09:58 AM

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