मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन कॉरिडोर पर देश का पहला भूमिगत बुलेट ट्रेन स्टेशन मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में बन रहा है। ये स्टेशन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा और इसे तीन स्तरों में तैयार किया जा रहा है। काम युद्धस्तर पर चल रहा है, इसका जायजा लेने केंद्रीय अश्विनी वैष्णव पहुंचे। स्टेशन की खुदाई करीब 100 फीट (32 मीटर) गहराई तक की जा रही है, जो किसी 10 मंजिला इमारत के बराबर है। अब तक 76 प्रतिशत खुदाई का कार्य पूरा हो चुका है, यानी 14.2 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी हटाई जा चुकी है। कुल खुदाई का लक्ष्य 18.7 लाख क्यूबिक मीटर निर्धारित किया गया है।
ऐसा होगा स्टेशन का ढांचा
1. स्टेशन पर होंगे 6 प्लेटफॉर्म- हर प्लेटफार्म की लंबाई 415 मीटर होगी, जो 16 कोच वाली बुलेट ट्रेन के लिए पर्याप्त है।
2. स्टेशन को तीन स्तरों में बांटा जाएगा- प्लेटफॉर्म, कॉनकोर्स और सर्विस फ्लोर।
3. यात्रियों की सुविधा के लिए दो प्रवेश और निकास द्वार होंगे। एक मेट्रो लाइन 2बी की ओर और दूसरा एमटीएनएल भवन की दिशा में।
4. स्टेशन को मेट्रो और सड़क मार्ग से जोड़ा जाएगा।
6. प्राकृतिक रोशनी के लिए रोशनदानों की भी व्यवस्था की गई है।
निर्माण कार्य में इस्तेमाल हो रही हाईटेक तकनीक
साइट पर 120 घन मीटर/घंटा क्षमता वाले तीन बैचिंग प्लांट कार्यरत हैं। कंक्रीट का तापमान नियंत्रित रखने के लिए बर्फ संयंत्र और चिलर संयंत्र का उपयोग किया जा रहा है।एक आधुनिक कंक्रीट लैब साइट पर मौजूद है, जहां कंक्रीट की गुणवत्ता के सभी टेस्ट किए जा रहे हैं। बेस स्लैब M-60 ग्रेड से और कॉलम M-80 ग्रेड कंक्रीट से बनाए जा रहे हैं। अब तक 27,000 घन मीटर कंक्रीट बेस स्लैब के लिए डाली जा चुकी है, जबकि कुल आवश्यकता 2 लाख घन मीटर की है। हर स्लैब के लिए 3000 से 4000 घन मीटर तापमान नियंत्रित कंक्रीट की जरूरत होती है।
अब तक पूरा हुआ काम
3384 सीकेंट पाइल्स,
2203 मीटर कैपिंग बीम और 2078 मीटर फ्लड वॉल का कार्य 100 प्रतिशत पूरा हो चुका है।
क्या कहती है सरकार?
बुलेट ट्रेन परियोजना को लेकर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की ओर से लगातार निगरानी रखी जा रही है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, स्टेशन का निर्माण निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है ताकि मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई-स्पीड रेल सेवा जल्द शुरू हो सके। सरकार के मुताबिक मुंबई का बीकेसी बुलेट ट्रेन स्टेशन सिर्फ एक निर्माण प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि भारत के तेज रफ्तार भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है। इसके पूरा होने से न केवल देश को हाई-स्पीड रेल का तोहफा मिलेगा, बल्कि मुंबई के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी क्रांतिकारी बदलाव आएगा।