महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया है। चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। इसी में चंद्रपुर जिले के घुगुस शहर और आसपास के इलाकों में लिस्ट से जुड़ी घोटाले की बात सामने आई है, जिसमें वोट को लेकर चोरी की आशंका जताई गई है।
वहीं, लोकसभा में नेता राहुल गांधी ने बिहार में वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों का आरोप लगाया है। उनका आरोप था कि चुनाव आयोग ने नकली नाम, अमान्य पता, और फॉर्म 6 का दुरुपयोग कर वोटरों की लिस्ट में भारी हेरफेर किया गया है, जिससे 2024 के चुनाव प्रभावित हुए।
इस पूरे प्रकरण में राहुल गांधी ने बताया कि महादेवपुरा एक ऐसा मामला है, जहां एक मकान में 80 वोटर रजिस्टर्ड थे, जबकि वहां कोई निवासी नहीं था। इसके बाद कांग्रेस द्वारा बिहार में SIR (Special Intensive Revision) का विरोध किया गया, जिससे “Vote Theft” की धांधली की आशंका जताई गई। राहुल गांधी ने दिल्ली में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए गिरफ्तार भी हुए। उन्होंने इसे लोकतंत्र के बचाव का आंदोलन बताया। वहीं, चुनाव आयोग ने आरोपों को “बिना किसी आधार” बताते हुए, राहुल गांधी से नियम 20(3)(b) के अनुसार प्रमाण-पत्र पेश करने को कहा है।
चंद्रपुर (घुगुस शहर) का नया मामला
अब हाल ही में महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित घुगुस गांव से एक और गंभीर मामले की बात सामने आई है। बताया गया कि घर संख्या 350 के पते पर 119 वोटर रजिस्टर्ड हैं, जबकि असल में वहां सिर्फ दो ही निवासी हैं। कांग्रेस ने इसे “vote theft” की एक ओर योजना करार दिया और चुनाव आयोग पर भारी लापरवाही का आरोप लगाया। राज्य प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है, जिससे यह साफ हो सके कि यह तकनीकी गलती है या फिर जानबूझकर की गई हेराफेरी है।
क्या दो घटनाओं के बीच कोई गहरा संबंध है?
बिहार में राहुल गांधी के आरोप नकली नाम, ‘मृत’ मतदाता, फर्जी पते, और फिजिकल वेरिफिकेशन में बड़ी गड़बड़ी दिखाते हैं। चंद्रपुर मामले में एक गांव में एक घर पर असंभव संख्या में वोटर रजिस्ट्रेशन हैं। इससे लोकतंत्र में विश्वास पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो रहे हैं। दोनों ही घटनाएं सामान्य गलती से कहीं आगे हैं और इनसे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गहरा संदेह होता है।
विश्वसनीय लोकतंत्र की परीक्षा: गलती या चाल?
इन दोनों घटनाक्रमों से साफ हो रहा है कि अब लोकतंत्र केवल मतदान का नाम नहीं रह गया, बल्कि वोटरों की लिस्ट की विश्वसनीयता ही उसकी आत्मा बन चुकी है। चाहे वह बिहार की भारी रखरखाव और अनुचित संशोधन हो या चंद्रपुर का 119 मतदाताओं वाला घर दोनों ने हमें चेताया है कि गलती से आगे, यह एक रणनीतिक आकर्षक राजनीति हो सकती है। अब चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट दोनों के सामने चुनौती है कि यह साबित करें भारत का लोकतंत्र सुरक्षित है और मतदाता लिस्ट में किसी तरह की अनदेखी नहीं हुई है।
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