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मुंबई

वक्फ संशोधन बिल पेश होने से पहले उलेमा और इमामों की आपात बैठक, JDU-TDP समेत अन्य पार्टियों को दी चेतावनी

वक्फ संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए बुधवार (2 अप्रैल) को लोकसभा में लाया जाएगा। इस दौरान हंगामा होने के पूरे आसार हैं क्योंकि विपक्षी दल इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। वहीं, बिल पेश होने से पहले मुंबई में उलेमा और इमामों ने आपात बैठक की है।

Author Reported By : Ankush jaiswal Edited By : Satyadev Kumar Updated: Apr 1, 2025 21:23
Emergency meeting of Ulema and Imams in Mumbai

वक्फ संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए 2 अप्रैल को लोकसभा में लाया जाएगा। केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में इस विधेयक पर 8 घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी जिसे सदन की भावना के अनुरूप और बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले मंगलवार शाम को मुंबई में उलेमा और इमामों ने आपात बैठक की। मुंबई के हांडी वाली मस्जिद में रजा अकादमी ने उलेमा, इमाम और मदरसा शिक्षकों की आपात बैठक बुलाई और इस बिल के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।

मुसलमानों की संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश

बैठक को संबोधित करते हुए संगठन के प्रमुख अलहाज मोहम्मद सईद नूरी ने कहा कि वक्फ बिल 2024 सीधे तौर पर मुसलमानों की संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वक्फ बिल को लेकर देश में जिस तरह की उथल-पुथल मची हुई है, वह बेहद चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमानों के लिए यह ‘करो या मरो’ की स्थिति है, क्योंकि इस बिल के जरिए मुस्लिम संपत्तियों को जानबूझकर लूटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा वक्फ बिल पर जिस तरह से कमेटी बनाई गई और जनमत प्राप्त करने के बाद भी मोदी सरकार ने एकतरफा फैसला लेते हुए 2 अप्रैल 2025 को इस बिल को संसद में पास कराने के लिए पेश कर रही है। यह सीधा-सीधा देश के संविधान को पैरों तले रौंदते हुए वक्फ की जमीनों पर जबरन कब्जा करने की कोशिश है।

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‘यह बिल संविधान विरोधी’

उन्होंने आगे कहा कि यह बिल न केवल संविधान विरोधी है, बल्कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला है। लेकिन अन्य धर्मों के लोगों को भी यह याद रखना चाहिए कि आज यह हमला मुस्लिम वक्फ संपत्तियों पर हो रहा है, कल यह पारसी समुदाय, सिखों, बौद्धों और अन्य धार्मिक स्थलों तक भी पहुंचेगा। अगर इस कानून को रोका नहीं गया तो कोई गुरुद्वारा, पारसी अग्नि मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल सुरक्षित नहीं रहेगा। इसलिए सभी धर्मों के लोगों को इस तानाशाही सरकार के खिलाफ एकजुट होना होगा।

सेक्युलर पार्टियों को दी चेतावनी

सईद नूरी ने सेक्युलर पार्टियों के नेताओं चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, जयंत चौधरी, चिराग पासवान समेत एनडीए में शामिल अन्य दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि अभी भी उनके पास समय है कि वे 2 अप्रैल को संसद में इस बिल के खिलाफ खुलकर विरोध करें। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया तो अल्पसंख्यकों का उन पर जो भरोसा है, वह खत्म हो जाएगा। अगर वे विरोध नहीं करते तो इसका मतलब यह होगा कि उन्होंने अपनी पार्टियों को मोदी के हाथों बेच दिया है।

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‘हम हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार’

हांडी वाली मस्जिद के इमाम और युवा इस्लामी विद्वान मौलाना एजाज अहमद कश्मीरी ने कहा कि वक्फ की जमीनें किसी के बाप की जागीर नहीं हैं, यह हमारे पूर्वजों की संपत्ति है और इसकी रक्षा करना हमारा धार्मिक कर्तव्य है। इसके लिए हम हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार एक तरफ तो ईद पर ‘मोदी के नाम की राशन किट’ बांट रही है और दूसरी तरफ मुसलमानों की संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने के लिए कानून बना रही है। इससे साफ जाहिर है कि मोदी सरकार अंग्रेजों की तरह नीतियां अपना रही है। जैसे अंग्रेजों ने भारत को लूटा, वैसे ही मोदी सरकार अब मुसलमानों की जमीनें लूटने पर आमादा है।

मौलाना मोहम्मद अब्बास रिजवी ने भी सेक्युलर पार्टियों के नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि अगर वे वास्तव में संविधान को बचाना चाहते हैं, तो उन्हें मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा होना होगा। इस आपात बैठक में बड़ी संख्या में उलेमा, इमाम और इस्लामी विद्वान शामिल हुए। इनमें मुफ्ती सुल्तान रजा, मौलाना ताहिर कादरी, मौलाना निजामुद्दीन, मौलाना एजाज अल-कमर समेत सैकड़ों धार्मिक नेता मौजूद थे।

First published on: Apr 01, 2025 09:16 PM

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