मुंबई: महाराष्ट्र में लंबे समय तक सत्ता में रहने वाली कांग्रेस पार्टी अब आर्थिक बदहाली से गुजर रही है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने मॉनसून सत्र के दौरान मुंबई के एक 7 सितारा होटल में 3 अगस्त को कांग्रेस के विधायकों के लिए स्नेहभोजन का आयोजन किया था। इस भोज का लाखों का बिल चुकाने के लिए कांग्रेस पार्टी को अपनी एफडी तोड़नी पड़ी है। प्रदेश कांग्रेस की तिजोरी में पैसे नहीं होने से यह कदम उठाना पड़ा है। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने फंड देने से मना कर दिया है, इसलिए पार्टी की तिजोरी खाली पड़ी है।
यहां से आता था पार्टी फंड में पैसा
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय का बिजली, पानी, मेहमानों की चाय और कार्यालय में काम करने वाले स्टाफ की सैलरी के लिए पैसा विधायक और सांसदों से इकट्ठा किया जाता है। इसकी जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष एक व्यक्ति को देते हैं। मुंबई प्रदेश कांग्रेस पार्टी में इन खर्चों के लिए हर पार्षद से प्रति माह 1 लाख रुपये लिए जाते हैं और ज्यादा की जिम्मेदारी बीएमसी के नेता प्रतिपक्ष को दी जाती है।
अशोक चव्हान ने किया था ये काम
अशोक चव्हाण जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने थे, तब उन्होंने पार्टी को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया था। पैसे की फिजूल खर्ची कम करने के लिए चव्हाण ने प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर में चाय बंद कर दी थी। उनके आह्वान के बाद विधायकों ने ज्यादा फंड भी दिया था। दरअसल, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले के रवैये से कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण नाराज चल रहे हैं, इसलिए उन्होंने पार्टी फंड देना बंद कर दिया है।
बालासाहब थोरात की ये है नाराजगी
दूसरे बड़े नेता बालासाहब थोरात पार्टी फंड के लिए खर्च करते थे, लेकिन मौजूदा समय में थोरात प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले बेहद खफा हैं। पिछले विधान परिषद चुनाव में बालासाहब थोरात ने निर्दलीय तौर पर लड़ने वाले अपने भांजे सत्यजीत तांबे को मदद करने का आरोप नाना पटोले ने लगाया था। इस आरोप के बाद दिसंबर 2022 से बालासाहब थोरात ने पार्टी को फंड देना बंद कर दिया। पटोले के आरोप को कांग्रेस हाईकमांड द्वारा गंभीरता से लेने के कारण कहा जाता है कि नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी बालासाहब थोरात के हाथों से चली गयी। नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी विजय वड्डेटीवार को मिली।