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छगन भुजबल में कितना दम? नाराजगी से क्यों डरे अजित पवार?

Ajit Pawar: एनसीपी के छगन भुजबल इन दिनों सुर्खियों में हैं। वजह है मंत्री पद नहीं मिलने के बाद उनका खुलकर पार्टी केे खिलाफ बयानबाजी करना। इस बीच आज वे अपने समर्थकों के बीच कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

Reported By : Indrajeet Singh | Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Dec 18, 2024 11:32
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Chhagan Bhujbal Ajit Pawar
Chhagan Bhujbal Ajit Pawar

Chhagan Bhujbal Strength: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की नई सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने से एनसीपी के दिग्गज नेता छगन भुजबल नाराज हैं। छगन भुजबल अपने वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ खुलकर बयान बाजी कर रहे हैं, आज भुजबल ने येवला में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई है जिसमें वे कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। इसके पहले भुजबल के कार्यकर्ताओं ने नासिक और बारामती में प्रदर्शन किया और अजित पवार को टारगेट करते हुए छगन भुजबल ने कहा है कि क्या मैं आपके हाथ का खिलौना हूं, क्या आपको लगता है कि जब आप कहेंगे कि खड़ा हो जाऊं तो खड़ा हो जाऊंगा और आप कहेंगे कि बैठ जाऊं तो बैठ जाऊंगा, मुझे जानना है कि जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुझे मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए तैयार थे, तो किसके कहने पर मेरा नाम हटाया गया?

अब सवाल है कि एनसीपी के लिए भुजबल इतने जरूरी क्यों हैं कि उनको राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव देना पड़ा। हालांकि भुजबल ने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है, भुजबल ने कहा है कि पहले उनको लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया तो मैं तैयार था, लेकिन टिकट नहीं मिला। इसके बाद राज्य सभा के लिए बोला गया बाद में सुनेत्रा पवार को भेज दिया गया और कहा गया राज्य में आपकी जरूरत है। अब जब मैं विधान सभा चुनाव जीत चुका हूं अब राज्य सभा के लिए बोला जा रहा है जो मुझे मंजूर नहीं, मैं कोई खिलौना नहीं हूं।

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भुजबल की ताकत क्या?

छगन भुजबल महाराष्ट्र के बड़े ओबीसी नेता हैं, महाराष्ट्र में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जिसने छगन भुजबल का नाम नहीं सुना होगा। सामाजिक मुद्दे हों, किसानों के हक की बात हो या फिर आरक्षण का मुद्दा हो, छगन भुजबल अपने बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जरांगे पाटिल की मांगों का खुलकर विरोध किया। भुजबल मराठा समाज को कुनबी प्रमाणपत्र देकर ओबीसी कोटे से आरक्षण देने के खिलाफ थे ,भुजबल ने इसके खिलाफ ओबीसी समाज का आंदोलन खड़ा किया। भुजबल को अंदेशा है कि मनोज जरांगे के दबाव में उनको मंत्र पद नहीं दिया गया।

जानें कौन हैं भुजबल?

छगन भुजबल ने 1 नवंबर 1992 को भारतीय महात्मा फुले समता परिषद की स्थापना की थी। इसके माध्यम से भुजबल पिछड़ों की आवाज उठाते रहते हैं ,1993 में जालना में अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद की पहली बैठक में देश में पहली बार ओबीसी के लिए मंडल आयोग को महाराष्ट्र में लागू किया गया। शरद पवार की मौजूदगी में हुई इस बैठक में छगन भुजबल ने समता परिषद के विभिन्न प्रस्ताव पेश किए थे। समता परिषद ने ओबीसी समुदाय की समस्याओं को हल करने के लिए देश भर में खासतौर पर बिहार, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में लोगों की सफल बैठकें कीं। भुजबल की दिल्ली में आयोजित एकता महारैली बहुत सफल रही।

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कभी सब्जियां बेचते थे भुजबल

1947 में जन्मे भुजबल ने आर्थिक तंगी के बावजूद ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की राजनीति में आने से पहले छगन भुजबल अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए मुंबई के भायखला सब्जी मंडी में सब्जियां बेचा करते थे। तेज तर्रार और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले छगन भुजबल की इस सफलता के पीछे उनकी कड़ी मेहनत है। भुजबल ने अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत 1960 में मध्य मुंबई के मझगांव क्षेत्र में शिवसेना शाखा प्रमुख के रूप में की, 1973 में वो पार्षद चुने गए और एक तेजतर्रार शिवसेना नेता के रूप में उभरे अपनी मेहनत की बदौलत भुजबल दो बार पहली बार 1985 में और फिर 1991 में मुंबई के मेयर बने ।

कुछ ऐसी रही राजनीतिक पारी

साल 1990 में शिवसेना और बीजेपी की सरकार में भुजबल को मंत्री पद मिला ,1991 में भुजबल ने शिवसेना छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। बाद में, जब शरद पवार ने एनसीपी बनाने का फैसला किया तो भुजबल भी उनके साथ नई पार्टी में शामिल हो गए। छगन भुजबल का ये कदम उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ, क्योंकि इसी एनसीपी ने उन्हें बुलंदियों तक पहुंचाया। लोक निर्माण विभाग ,इसके बाद गृह मंत्री और पर्यटन मंत्रालय जैसे विभागों को भी भुजबल ने संभाला। भुजबल 18 अक्टूबर 1999 से 23 दिसंबर 2003 तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रहे।

भुजबल और विवाद

छगन भुजबल अपने पूरे करियर में कई विवादों में रहे हैं। तेलगी स्टैंप स्कैम, भ्रष्टाचार के आरोप, मनी लॉन्ड्रिंग केस या महाराष्ट्र सदन घोटाला जैसे कई मामले हैं जिसमें छगन भुजबल का नाम आया, लेकिन छगन भुजबल की राजनीति कभी भी डगमगाई नहीं। छगन भुजबल को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल भी जाना पड़ा।  2017 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भुजबल और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया। 2016 में प्रवर्तन निदेशालय ने मुंबई में महाराष्ट्र सदन और कालीना लाइब्रेरी के निर्माण से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनको गिरफ्तार किया। भुजबल महाराष्ट्र की 14वीं विधानसभा में नासिक के येवला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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Edited By

Rakesh Choudhary

Reported By

Indrajeet Singh

First published on: Dec 18, 2024 11:32 AM

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