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‘जिस बच्ची को देह व्यापार में धकेला, उसे दोबारा पिता को नहीं सौंपेंगे…’ पढ़ें बॉम्बे हाई कोर्ट का आदेश

Bombay High Court Order: महाराष्ट्र की बॉम्बे हाई कोर्ट ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग को लेकर आदेश जारी किया है। न्यायालय ने देह व्यापार और वुमेन ट्रैफिकिंग से जुड़े मामले में एनजीओ की याचिका पर सुनवाई की है। 28 मार्च को एक एनजीओ ने एक लड़की को देह व्यापार के मामले में बचाया था। जिसके बाद से मामला कोर्ट में है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Jun 16, 2024 16:26
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Bombay High Court
बॉम्बे हाई कोर्ट।

Maharashtra News: महाराष्ट्र की बॉम्बे हाई कोर्ट में देह व्यापार और वुमेन ट्रैफिकिंग से जुड़े मामले में विशेष आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं कि जिस पिता ने अपनी बच्ची को देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया हो, उसी पिता को फिर से बेटी कैसे सौंपी जा सकती है? न्यायालय ने कहा कि ऐसे आदमी को दोबारा बेटी सौंपना किसी भी ढंग से सुरक्षित नहीं है। न्यायालय ने देह व्यापार के लिए लड़कियों की खरीद-फरोख्त के मामले में सुनवाई की। जिसके बाद गर्ल ट्रैफिकिंग को लेकर बड़ा आदेश जारी किया।

न्यायालय ने कहा कि पिता ने बेटी को देह व्यापार में धकेलने से पहले जरा भी नहीं सोचा। ऐसे पिता को अब दोबारा बेटी नहीं सौंपी जा सकती। पिता को दोबारा सौंपना पीड़िता के लिए खतरनाक हो सकता है। एनजीओ के ओर से सेशन कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध अपील की गई थी। जिसके बाद न्यायालय ने आदेश जारी कर इन पर स्टे लगा दिया।

28 मार्च को देह व्यापार से मुक्त करवाई थी लड़की

याचिका के अनुसार 28 मार्च को एंटी मीरा भयान्दर वसई विरार एनजीओ ने ऑपरेशन चलाया था। जिसके बाद एक लड़की का रेस्क्यू किया गया था। याचिका के अनुसार सत्र न्यायालय में जब मामला गया, तो लड़की को उसके पिता को सौंपने यानी घर भेजने का आदेश दिया गया था। जिसके बाद हाई कोर्ट में एनजीओ ने गुहार लगाई थी। एनजीओ ने कोर्ट को बताया कि लड़की को जिस दलदल में धकेला गया, उसके लिए पिता ही जिम्मेदार है। पिता के कारण उसकी खुशियां छिन गईं। इसलिए पिता को कैसे दोबारा सौंपा जा सकता है? पिता उसका सबसे बड़ा दुश्मन है, जिसके पास पीड़िता को भेजना खतरनाक हो सकता है।

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रेस्क्यू के बाद लड़की के रहने और सुरक्षा का जिम्मा एनजीओ को एक अप्रैल को दिया गया था। जिसके बाद निचली अदालत ने उसकी सुपुर्दगी के लिए पिता को जिम्मेदारी दे दी थी। जिसके खिलाफ स्टे लेने के लिए एनजीओ ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अब आदेशों पर स्टे लग गया है।

First published on: Jun 16, 2024 04:26 PM

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