जबलपुर: मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित निजी अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इसे लेकर गुरुवार को सुनवाई की। इसमें कोर्ट ने सरकार द्वारा गठित कमेटी पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि जिन डॉक्टरों को मामले में निलंबित करना था उन्हें ही जांच की जिम्मेदारी दे दी गई है। कोर्ट ने कहा कि इससे इस मामले की निष्पक्ष जांच कैसे होगी? इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच की भी मांग की।
जिन डॉक्टरों के कारण 8 लोगों की हुई मौत, उन्हें ही जांच कमेटी में किया शामिल
जबलपुर के निजी अस्पताल में लगी भीषण आग से हुई 8 लोगों की मौत के मामले में गुरुवार को चीफ जस्टिस रवी मलिमठ और जस्टिस दिनेश कुमार पालीवाल की बेंच ने सुनवाई की। इसमें सबसे पहले जिला प्रशासन की ओर से कोर्ट में अग्निकांड को लेकर बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट सौंपी गई। रिपोर्ट को देखते ही हाईकोर्ट के जज ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि जिन तीन दोषी डॉक्टरों के कारण 8 लोगों की अकारण मौत हो गई उन्हीं डॉक्टरो पर कार्रवाई करने की बजाय उन्हें निजी अस्पतालों की जांच की टीम में कैसे शामिल कर लिया गया।
हाईकोर्ट ने सरकार से 22 अगस्त तक मांगा शपथ पत्र
सरकार को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि यदि हमें आपसे संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो मामला सीबीआई को सौंपने पर विचार किया जाएगा। वहीं उन्होंने सरकार को 22 अगस्त 2022 तक एक शपथ पत्र जमा करवाने का आदेश दिया है। इस पत्र में ये बताया जाएगा कि सरकार द्वारा अब तक दोषी डॉक्टरों पर क्या कार्रवाई की गई है। इसमें निजी अस्पताल पर भी की गई कार्रवाई का जिक्र होना अनिवार्य है।
बता दें कि जबलपुर स्थित निजी अस्पताल में 1 अगस्त 2022 को एक भीषण हादसा हो गया था जिसमें 8 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी वहीं कई लोग घायल भी हो गए थे। इस हादसे के बाद पाया गया था कि अस्पताल के बाद फायर एनओसी ना होने के बावजूद ये चल रहा था और इस पर किसी का भी ध्यान नहीं था।