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ये कैसी परंपरा! कांटों की सेज पर लेटता बूढ़ा से लेकर बच्चा, पांडवों से खास कनेक्शन

Unique Tradition Followed in Betul: अनोखी परंपरा, जिसके लिए लोग कई दिनों तक कंटीली झड़ियों को इकट्ठा करके उन्हें सुखाते हैं और फिर उसके ऊपर लेटकर कड़ी परीक्षा देते हैं।

Edited By : Pooja Mishra | Updated: Dec 19, 2023 16:16
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अमित कोड़ले

Unique Tradition Followed in Betul: भारत में अनगिनत समुदाय हैं, जो एक साथ रहते हैं। हर समुदाय की अपनी एक अलग परंपरा और रीति-रिवाज होते हैं, जिन्हें वे पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते हैं। इसमें से कई परंपराएं काफी अजीब होती हैं, जिसे मानना काफी मुश्किल होता है। ऐसी ही एक परंपरा मध्य प्रदेश के बैतूल जिल के सेहरा गांव में देखने को मिलती है। यहां रज्झड़ समुदाय के लोग खुशी-खुशी कांटों की सेज पर लेटकर खुद को यातनाए देते हैं। इस परंपरा को भोंडाई कहा जाता है, जिसका आयोजन हर साल किया जाता है। यह परंपरा निभाने वाले रज्झड़ समुदाय के लोगों का कहना है कि वे पांडवों के वंशज हैं।

पांडवों से खास कनेक्शन

रज्झड़ समुदाय के मुताबिक, इस परंपरा के पीछे एक कहानी है। दरअसल, भोंडाई पांडवों की मुंहबोली बहन थी। भोंडाई की एक राजा के साथ शादी हुई थी। शादी में विदाई के वक्त पांडवों को कांटों पर लेटकर खुद को सही साबित करना पड़ा था। उसी समय से यह परंपरा निभाई जा रही है।

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भोंडाई परंपरा का आयोजन

गांव के एक निवासी ने बताया कि भोंडाई परंपरा का आयोजन रज्झड़ समुदाय के लोग करते हैं। इसके लिए समुदाय के लोग कई दिनों तक बेर की कंटीली झड़ियों को इकट्ठा करके उन्हें सुखाते हैं। फिर मुख्य आयोजन वाले दिन गाजे बाजे के साथ कंटीली झड़ियों को लेकर अपने पूजन स्थल तक जाते हैं। यहां इन झाड़ियों से सेज बनाई जाती है, जिस पर एक-एक करके समुदाय के सभी लोग लेटते हैं।

हैरान करने वाली बात

हैरान करने वाली बात तो यह है कि रज्झड़ समुदाय के लोगों को कांटों पर इस तरह लेटने से कोई तकलीफ नहीं होती और कुछ ही देर में वे नॉर्मल भी हो जाते हैं। इस आयोजन में हर उम्र के लोग शामिल होते हैं।

First published on: Dec 19, 2023 04:08 PM

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