Panna: हीरा नगरी के रूप में विश्व-विख्यात पन्ना जिले के हीरे को जीआई टैग मिलेगा। इसकी प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है। जीआई टैग मिलने से पन्ना के हीरे की विशेष पहचान स्थापित होगी। एनएमडीसी द्वारा संचालित एक मात्र मेकेनाइज्ड खदान भी पन्ना में ही है।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर संजय कुमार मिश्र के मार्गदर्शन में जिले में निकलने वाले हीरों को विश्व स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाने के लिए गत दिनों चेन्नई में जीआई रजिस्ट्री आवेदन किया गया था। जीआई टैग मिलने की पुष्टि होने पर अब पन्ना के हीरों की चमक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ेगी। पन्ना में हीरा व्यवसाय से जुड़े लोगों को इसका लाभ मिल सकेगा।
पन्ना में निकलते हैं 3 तरह के हीरे
पन्ना के भूगर्भ में हीरा पाया जाता है, यहां जमीन पर सबसे पहले तीन से लेकर 30 फीट तक की गहराई में ग्रेवल निकलती है। फिर ग्रेवल के बाद की जमीन में हीरे मिलने की संभावना रहती है। इस मिट्टी की खुदाई के साथ-साथ पानी से धुलाई की जाती है, ताकि कोई चमकता हुआ हीरा नजर आ जाए। पन्ना की धरती से मुख्य रूप से तीन तरह के हीरे मिलते हैं। उनकी गुणवत्ता की पहचान हीरा कार्यालय के पारखी करते हैं।
यहां पर जेम (व्हाइट कलर), ऑफ कलर (मैला रंग) और इंडस्ट्रियल क्वालिटी (कोका कोला कलर) के डायमंड निकलते हैं। सबसे महंगा जेम डायमंड होता है। ऑफ कलर का डायमंड फैंसी आइटम में काम आता है,जबकि इंडस्ट्रियल क्वालिटी के डायमंड से कांच काटे जाते हैं।