---विज्ञापन---

MP में BJP विधायक नारायण त्रिपाठी ने बनाई अपनी नई पार्टी, विंध्य में बन सकते हैं नए समीकरण

MP Politics: मध्य प्रदेश में साल के आखिर में होने वाला विधानसभा चुनाव इस बार दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इस बार तीसरे दल भी पूरी ताकत लगा रहे हैं। वहीं दोनों ही पार्टियों के नाराज नेता भी बड़े फैसले लेते नजर आ रहे हैं। फिलहाल वर्तमान में बीजेपी से […]

Edited By : Arpit Pandey | Updated: Jul 12, 2023 19:47
Share :
bjp mla narayan tripathi
bjp mla narayan tripathi

MP Politics: मध्य प्रदेश में साल के आखिर में होने वाला विधानसभा चुनाव इस बार दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इस बार तीसरे दल भी पूरी ताकत लगा रहे हैं। वहीं दोनों ही पार्टियों के नाराज नेता भी बड़े फैसले लेते नजर आ रहे हैं। फिलहाल वर्तमान में बीजेपी से विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपनी अलग पार्टी बना ली है। जो पृथक विंध्य की मांग से जुड़ी हुई है। ऐसे में प्रदेश की सियासत और दिलचस्प होती नजर आ रही है।

नारायण त्रिपाठी ने बनाई ‘विंध्य जनता पार्टी’

दरअसल, सतना जिले की मैहर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी लंबे समय से अलग विंध्य राज्य की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इसी मुद्दे को लेकर राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी अलग पार्टी बनाई है। जिसका नाम ‘विंध्य जनता पार्टी’ (VJP) है। त्रिपाठी का कहना है कि वह 14 जुलाई से पार्टी का सदस्यता का अभियान शुरू करेंगे।

---विज्ञापन---

43 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी

बताया जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी अपनी नई पार्टी को 43 सीटों पर चुनाव लड़वाएंगे। यानि विंध्य जनता पार्टी के 43 प्रत्याशी विंध्य, महाकौशल और बुंदेलखंड की कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पार्टी बनाने के साथ-साथ नारायण त्रिपाठी ने अपनी पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट भी जारी किए है। जिसमें सबसे अहम अलग विंध्य प्रदेश की मांग है।

बिगड़ सकते हैं बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण

मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी के नई पार्टी के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों की धड़कन बढ़ गई हैं। क्योंकि उनका यह दांव बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। हालांकि नारायण त्रिपाठी का कहना है कि ‘मैं फिलहाल बीजेपी में हूं। लेकिन पृथक विंध्य का मेरा सपना है और इस मांग के साथ मैं हूं। विंध्यवासी पृथक विन्ध्य के लिए एक पार्टी गठन किया है और मैं विन्ध्य का समर्थक हूं। अगर भाजपा पृथक विन्ध्य की मांग को मान लेती है तो कोई बात ही नहीं अन्यथा इस बार विन्ध्य जनता पार्टी (वीजेपी) विधानसभा चुनाव लड़ेगी। उन्होंने अपनी नई पार्टी का ऐलान के साथ 14 जुलाई से सदस्यता अभियान शुरू करने की बात कही है।’

---विज्ञापन---

वहीं त्रिपाठी के पार्टी को जहां कांग्रेस का साथ मिला है तो बीजेपी ने उन्हें कटघरे में खड़ा किया है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं उतना साथ अभी उनके दल को नहीं मिलने वाला है। लेकिन त्रिपाठी पृथक विंध्य को लेकर जन आंदोलन काफी समय से चला रहे हैं, लेकिन इस आंदोलन की धार समय-समय पर राजनीतिक निहितार्थ के इर्द गिर्द भी घूमती नजर आती है। मसलन जब रैगांव उपचुनाव हुए थे तो पृथक विंध्य प्रदेश के झंडे-बैनरों ने भाजपा को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया था। इसने मतदाताओं का एक माइंडसेट कांग्रेस के प्रति इस चुनाव में तैयार किया था। अब मिशन 2023 के लिए नारायण ने सधा हुआ तीर चुनावी चौसर पर छोड़ा है, जिसका परिणाम तो बाद में समझ में आएगा।

बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं त्रिपाठी

नारायण भले ही भाजपा पार्टी से विधायक हों और खुद को भाजपा का ही बताते हैं लेकिन भाजपा के अंदरखाने में उनकी गिनती भाजपा के बीच नहीं होती। यही वजह है कि भाजपा के कार्यक्रमों में उन्हें बुलाया नहीं जाता है। ऐसी स्थिति में सतना जिले में उनकी पहचान भाजपा के बागी के रूप में होती है। गाहे बगाहे 2023 के चुनाव को लेकर उन्हें भाजपा की जगह अन्य दल से चुनाव लड़ने की चर्चा अक्सर होती है। ऐसे में वे जब विंध्य जनता पार्टी की बात करते हैं, तो यह माना जाता है कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ या पक्ष में तो नजर नहीं आएगी।

नारायण का विंध्य में प्रभाव

हालांकि सतना जिले में नारायण का व्यक्तिगत प्रभाव भी है। ऐसे में अगर वीजेपी से अगर वे मैदान में आते हैं और सभी विधानसभाओं में अपने प्रत्याशी खड़े करते हैं तो यह तय है कि उसका नुकसान भाजपा को ज्यादा होगा। बसपा, आप के बाद अब वीजेपी यानि विंध्य पार्टी भी एक्टिव हो रही है। खास बात यह है कि मध्य प्रदेश में बसपा को पहली जीत का स्वाद विंध्य से ही मिला था। मध्यप्रदेश में किसी चुनाव में आप पार्टी को भी जीत विंध्य से ही मिली थी। ऐसे में वीजेपी विन्ध्य से अपना खाता खोलेगी इसकी भी संभावना मानी जा रही है। अब यह खाता किस विधानसभा से और कितनी सीटों का होगा यह समय की गर्त में हैं।

कई दलों से लड़ चुके हैं चुनाव

बता दें कि नारायण त्रिपाठी की गिनती मध्य प्रदेश के ऐसे विधायकों में होती हैं जो कई दलों से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच चुके हैं। उन्होंने 2003 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी से जीता था। जबकि वह कांग्रेस और बीजेपी से भी चुनाव जीत चुके हैं। 2013 का विधानसभा चुनाव त्रिपाठी ने कांग्रेस से जीता था। लेकिन बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए और इस्तीफा देकर बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 2018 का विधानसभा चुनाव भी नारायण त्रिपाठी ने बीजेपी से ही जीता था। लेकिन अब वह फिर अलग राह पकड़ते नजर आर हैं।

भोपाल से अजय शर्मा की रिपोर्ट 

HISTORY

Edited By

Arpit Pandey

First published on: Jul 12, 2023 07:46 PM
संबंधित खबरें