MP Assembly Election: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस हर अंचल के सियासी समीकरण साधने में जुटी है। पार्टी के बड़े नेता भी लगातार अंचलों पर फोकस कर रहे हैं। लेकिन सीमध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों के मामले में दूसरे नंबर पर आने वाले महाकौशल अंचल में बीजेपी और कांग्रेस में उपेक्षा बनाम उपलब्धि की सियासत शुरू हो गई है। जिसका सीधा असर विधानसभा चुनाव में भी पड़ सकता है।
महाकौशल की 38 विधानसभा सीटें अहम
दरअसल, मध्य प्रदेश के महाकौशल अंचल की 38 विधानसभा सीटें सियासी दलों के लिए कितना मायने रखती हैं, ये उनके आला नेताओं के दौरों से समझा जा सकता है। इधर जब चुनावी दस्तक के साथ ही सभी पार्टियां और संगठनो ने भी अपनी अपनी रणनीतिया बनाना शुरू कर दिया है। इनमें जनता के बीच खुद को नायक और विपक्ष को खलनायक साबित करने की भी होड़ लग गई है।
इसी कवायद में महाकौशल में उपेक्षा बनाम उपलब्धि की सियासी जंग छिड़ गई है। कांग्रेस कह रही है कि भाजपा सरकार में महाकौशल की जितनी उपेक्षा हई उतनी इतिहास में कभी नहीं हुई। तो बीजेपी महाकौशल के लिए अपनी उपलब्धियां बता रही है।
महाकौशल में सियासत की वजह
- शिवराज सरकार में महाकौशल के मुख्यालय चार विधायक होने के बाद एक भी मंत्री नहीं
- शिवराज सरकार में महाकौशल से सिर्फ 1 राज्यमंत्री रामकिशोर कांवरे
- कमनलाथ सरकार में महाकौशल से थे सीएम के अलावा 4 कैबिनेट मंत्री थे
- कमलनाथ सरकार में महाकौशल से आते थे मुख्यमंत्री कमलनाथ
- कमलनाथ सरकार में महाकौशल से थे विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति
- कमलनाथ सरकार में महाकौशल से थीं विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे
- कमलनाथ सरकार में महाकौशल अंचल से चार मंत्री थे
बीजेपी का पलटवार
इधर महाकोशल से मंत्री ना बनाने और महाकौशल की उपेक्षा का आरोप झेल रही बीजेपी, विपक्ष और जनता को विकासकार्यों की सौगातें गिना रही है। बीजेपी ने ना सिर्फ सीएम शिवराज बल्कि पीएम मोदी के कार्यकाल में भी मिली उपलब्धियों का डॉक्यूमेंटेशन किया है, जिन्हें कार्यकर्ताओं के जरिए जनता के बीच पहुंचाया जा रहा है। भाजपा विधायक अशोक रोहाणी इस पर भी दावा कर रहे हैं कि आने वाले सालों में महाकोशल और जबलपुर का विकास सातवें आसमान पर होगा।
दरअसल, बीते विधानसभा चुनाव में महाकोशल की 38 में से 24 सीटों पर कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी और 1 सीट पर निर्दलीय की जीत के बाद बीजेपी सिर्फ 13 सीटों पर सिमटकर रह गई थी। इस बार भी जब कांग्रेस का सीएम फेस कमलनाथ, महाकौशल से ही आ रहे हैं तो यहां उपेक्षा बनाम उपलब्धि की सियासी जंग छिड़ गई है।
जबलपुर से कुमार इंदर की रिपोर्ट