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Madhya Pradesh Election 2023: क्या मध्यप्रदेश में ‘कर्नाटक वाला फार्मूला’ कांग्रेस को दिलाएगा जीत?

Madhya Pradesh Election 2023: शिवराज सिंह चौहान की सामाजिक कल्याण योजनाओं का मुकाबला करने के लिए, कांग्रेस ने पांच गारंटी दी है।

Edited By : Om Pratap | Updated: Oct 10, 2023 07:27
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Madhya Pradesh election 2023

Madhya Pradesh Election 2023: भाजपा के गढ़ कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में को जीतने के लिए कांग्रेस की ओर से जनता के लिए पांच गारंटी दी है। इसके अलावा मध्यप्रदेश जीतने के लिए कांग्रेस ‘कर्नाटक फार्मूला’ भी अपना रही है। कांग्रेस पहले ही कमल नाथ को अपना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। सरकारी काम में 50 फीसदी कमीशन का आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार को भी बड़ा मुद्दा बनाया है। गारंटी और भ्रष्टाचार पर फोकस दोनों उस टेम्पलेट से हैं जिसे पार्टी ने इस साल की शुरुआत में कर्नाटक में भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था।

दिसंबर 2018 से लेकर मार्च 2020 तक के 15 महीने के कमलनाथ का शासन को छोड़ दिया जाए तो मध्यप्रदेश भाजपा का गढ़ रहा है। भाजपा इस बार भी अपने गढ़ को बरकरार रखना चाहती है। पार्टी की ओर से अब तक जारी प्रत्याशियों की सूची देखकर तो यही लगता है। भाजपा और कांग्रेस के वादों को देखें तो ‘जनता को उनकी भलाई’ का सपना दोनों ही दलों ने दिखाया है, लेकिन असली मुद्दा तो हिंदुत्व का है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा की राष्ट्रीय रणनीति से सीख लेते हुए हिंदुत्व और कल्याणवाद के आधार पर पार्टी और अपना आधार मजबूत बनाने की कोशिश की है। राज्य सरकार ने 2,200 करोड़ रुपये की लागत से ओंकारेश्वर शहर में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के निर्माण के अलावा, उज्जैन में महाकाल लोक और बुंदेलखंड में भगवान राम पर्यटन मार्ग विकसित किया है।वहीं, कमल नाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने भी नरम हिंदुत्व को अपनाया है, पार्टी खुद को सच्चे हिंदुओं की पार्टी कहती है।

मध्यप्रदेश चुनाव के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही भाजपा

भारत निर्वाचन आयोग ने 17 नवंबर को मध्य प्रदेश में एक चरण में विधानसभा के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। वहीं, उनके मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्यों को पार्टी ने इस बार टिकट दिया है।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राजनीतिक विशेषज्ञ गिरिजा शंकर की माने तो ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा मध्य प्रदेश चुनाव के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है। भाजपा ने अब तक चार सूचियों में राज्य के 230 विधानसभा क्षेत्रों में से 136 के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों, कृषि मंत्री और दिमनी से चार बार के सांसद नरेंद्र सिंह तोमर, नरसिंहपुर से जल शक्ति मंत्री और आठ बार के सांसद प्रहलाद पटेल, निवास से इस्पात मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और चार अन्य संसद सदस्य को को मैदान में उतारा है।

जीत के लिए भाजपा, कांग्रेस का अपना-अपना दांव

29 नवंबर 2005 से लेकर 17 दिसंबर 2018 और 23 मार्च 2020 से लेकर अब तक यानी कुल 16 साल से अधिक समय से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने कई घोषणाएं की हैं। घोषणाओं में राज्य की प्रत्येक महिला को ₹1,500 का मासिक भत्ता, हर महीने ₹450 का रसोई गैस सिलेंडर और समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को ब्याज मुक्त ऋण समेत सामाजिक कल्याण योजनाएं लाईं गईं हैं। राज्य के वित्त विभाग के अनुमान के अनुसार, अकेले इस वित्तीय वर्ष में घोषित चुनाव पूर्व योजनाओं के लिए खर्च किया जाने वाला बजट करीब 80,000 करोड़ रुपये है।

शिवराज सिंह चौहान की सामाजिक कल्याण योजनाओं का मुकाबला करने के लिए, कांग्रेस ने पांच गारंटी दी है। पांच गारंटी में, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, महिलाओं के लिए 1500 रुपये प्रति माह, 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 200 यूनिट तक बिजली बिल पर 50% सब्सिडी और 2018 में घोषित कृषि ऋण माफी योजना को फिर से शुरू करना शामिल है। कांग्रेस ने 2023 में सत्ता में आने पर जाति जनगणना कराने का भी वादा किया है।

कांग्रेस के तोड़ के लिए भाजपा का क्या है प्लान?

भाजपा ने मध्य प्रदेश में 50 वर्षों तक सत्ता में रही कांग्रेस द्वारा राज्य के कथित कुप्रबंधन को उजागर करने की कोशिश की है और केंद्र सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर जोर दिया है। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस ‘हिंदू विरोधी’ है और डीएमके मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान के मद्देनजर सनातम धर्म पर हमला करने के लिए नवगठित इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस) ब्लॉक पर निशाना साधा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जनवरी से नौ बार राज्य का दौरा किया है और कांग्रेस पर मध्य प्रदेश को बीमारू राज्य बनाने का आरोप लगाया है। बता दें कि बीमारू शब्द 1980 के दशक में बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लिए जनसांख्यिकी विशेषज्ञ आशीष बोस द्वारा गढ़ा गया था। तब मध्यप्रदेश भारत का सबसे गरीब राज्य था। बार-बार मध्यप्रदेश पहुंचे प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के विकास का श्रेय भाजपा को दिया। उन्होंने वादा किया कि अगर भाजपा सत्ता में वापस आती है तो एमपी 2030 तक देश के शीर्ष तीन राज्यों में से एक होगा।

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Written By

Om Pratap

First published on: Oct 10, 2023 07:27 AM

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