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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश की योजना को अंतरराष्ट्रीय मंच ने सराहा, हिमालय में स्वच्छता मिशन को देगा नया रूप

International Seminar On Changing Environment: हिमालय से निकली नदियों का कचरा अपने देश तक नहीं आएगा। मध्यप्रदेश की योजना को अंतरराष्ट्रीय मंच ने सराहा है।

Author Edited By : Deepti Sharma Updated: Sep 16, 2024 16:43
international seminar
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International Seminar On Changing Environment: हिमालय के लॉ लैंड एरिया में सक्रिय पर्यटकों से निकलने वाला प्लास्टिक वेस्ट न सिर्फ इन इलाकों की सफाई पर असर कर रहा है। बल्कि यह नदियों के रास्ते अपने देश के कई शहरों तक भी पहुंच कर नुकसान के हालात बना रहा है। अब इस स्थिति से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विमर्श शुरू हो गया है, जिसके बेहतर परिणाम जल्दी ही सामने आने लगेंगे। स्वच्छता मिशन को आगे बढ़ाने वाली इस योजना को मप्र की राजधानी भोपाल से आकार मिलने वाला है। पड़ोसी मुल्क नेपाल के काठमांडू में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार के दौरान यह कनक्लूजन निकल कर आया है। सेमिनार में देश विदेश के तकनीकी एक्सपर्टस ने अपने अनुभव शेयर करते हुए वेस्ट मैनेजमेंट पर अपने सुझाव पेश किए। सेमिनार में भारत, नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश आदि देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।

मध्य प्रदेश की कवायद सराही गई

काठमांडू में आयोजित इस तीन दिवसीय सेमिनार में मप्र के भोपाल से पर्यावरणविद सैयद इम्तियाज अली भी मौजूद रहे। इम्तियाज इससे पहले कश्मीर, नैनीताल, हिमाचल आदि प्रदेशों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर अपना प्रेजेंटेशन दे चुके हैं। जिसपर कार्य करते हुए इन प्रदेशों ने प्लास्टिक वेस्ट की समस्या से छुटकारा पाया है। काठमांडू सेमिनार के दौरान सैयद इम्तियाज ने हिमालय की तराई से निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट के मैनेजमेंट की कार्ययोजना पेश की। उनके इस पेपर प्रेजेंटेशन को इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में मौजूद स्पीकर्स, रिसर्चर्स, एकेडमिक और डिप्लोमेटिक लोगों ने सराहा भी और इस भोपाल मॉडल में रुचि भी दिखाई।

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खुलेंगे रोजगार के अवसर

पर्यावरणविद सैयद इम्तियाज अली ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सेमिनार भारत के स्वछता अभियान को सराहा गया है। इसमें होने वाले नए अभिनव प्रयोग को भी सेमिनार में शामिल देशों ने अपनाने में रुचि दिखाई है। इम्तियाज ने कहा कि प्लास्टिक वेस्ट, मनुष्य के बालों से निर्मित तरल खाद, गोकाष्ट, प्लास्टिक से रोड़ निर्माण तकनीक को पड़ोसी देश नेपाल ने अपनाने पर भी अपनी सहमति दी है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लागू होने से जहां प्लास्टिक वेस्ट से निजात मिलेगी, वहीं, रोजगार के साधन भी विकसित होंगे।

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First published on: Sep 16, 2024 04:43 PM

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