चंडीगढ़ से नरेंद्र नंदन की रिपोर्ट : उत्तर भारत के त्योहारों में लोहड़ी (Lohari) पर्व का स्थान बहुत ऊँचा हैं। इस पर्व को पुरे उत्तर भारत में खासकर पंजाब(Punjab), हरियाणा (Haryana), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में लोग मनाते हैं। लोहड़ी का पर्व जनवरी माह के दूसरे सप्ताह पोष महीने की आखिरी रात को मनाया जाता है। हालांकि बाकी त्यौहारों जैसे दीपावली (Deepawali) , बैसाखी, होली (Holi) की तरह इस त्यौहार का कोई धार्मिक महत्व तो नहीं हैं पर अनेक मान्यताएं जुड़ी होने के कारण लोहड़ी का त्योहार पंजाबी संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया हैं।
बसंत ऋतु के आगमन, कड़ाके की ठंड से बचने और भाईचारे की सांझ का मेल हैं लोहड़ी का त्यौहार। पहले लोग घर में लड़का होने या लड़के की शादी होने पर इस पर्व को दिलचस्पी से मनाते थे।
क्यों कहा जाता हैं लोहड़ी
सबसे पहले आपको बताते हैं कि क्यों इस पर्व को लोहड़ी कहा जाता है, दरअसल ये फसल और मौसम से जुड़ा पर्व है। इस मौसम में पंजाब में किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं। रबी की फसल कटकर आती है ऐसे में नई फसल की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले इस त्योहार को धूमधाम मनाया जाता है।
लोहड़ी शब्द का अर्थ
लोहड़ी शब्द में ल का मतलब लकड़ी, ओह से गोहा यानी जलते हुए सूखे उपले और ड़ी का मतलब रेवड़ी से होता है। इसलिए इस पर्व को लोहड़ी कहा जाता है। लोहड़ी के बाद मौसम में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है और ठंड का असर धीरे-धीरे कम होने लगता है ठंड की इस रात को परिवार व दोस्तों के साथ सेलिब्रेट किया जाता हैं।
अब लड़कियों की लोहड़ी भी मनाई जा रही हैं
अब समाज ज्यादा शिक्षित हो गया हैं जिस वजह से आजकल लड़को के साथ-साथ लड़किओं की लोहड़ी भी बड़ी धूम धाम से मनाई जाती हैं। आजकल पंजाब की कई जगहों पर लड़कियों की लोहड़ी मना लोगों को सन्देश देने की कोशिश की जा रही हैं कि लडकियां भी लड़को से कम नहीं हैं और लड़को की भाँति लड़कियों की लोहड़ी सभी को मनानी चाहिए।
कैसे मनाते हैं इस त्यौहार को
लोहड़ी के दिन चार से लेकर दस बच्चों तक के समूह में बच्चे टोलियाँ बना कर लोगो के घरो में जाकर सुंदर मुंद्रीय टेरा कौन विचारा दुल्ला भट्टी वाला “दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी खोल माई कुंडा जीवे तेरा मुंडा” जैसे लोक गीत गाते हुए लोहड़ी मांगते हैं और लोग भी इन बच्चों को मूंगफली, रेवड़ियाँ, तिल या रुपये देकर ख़ुशी महसूस करते हैं। लोहड़ी को ढोल की ठाप पर नाचते गाते हुए और रात को अग्नि को सेंकते हुए मनाया जाता है। रात को अग्नि सेंकते हुए उसमे मूंगफली, रेवड़ियाँ, तिल को फेंका जाता है इस प्रक्रिया को लोग शगुन भी कहते हैं। पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार एक संस्कृति का प्रतीक है इसे पंजाबी बड़ी श्रद्धा व उत्साह के साथ अपने परिवार के लोगों व दोस्तों के बीच मनाते हैं।