रांची से विवेक चंद्र की रिपोर्टः झारखंड के सरकारी और निजी चिकित्सकों ने अपनी मांग न माने जाने पर 13 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। इससे पहले रविवार को पूरे राज्य में चिकित्सकों ने अपनी मांगों के समर्थन में एक साथ हर जिले में कैंडल मार्च निकाला। राजधानी रांची में रिम्स से सैकड़ों की संख्या में डॉक्टरों ने कैंडल मार्च में हिस्सा लिया और नारेबाजी की।
इस कैंडल मार्च में IMA, JSHSA रिम्स टीचर एसोसिएशन JDA, चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एवं वीमेन डॉक्टर विंग AHPI एवं अन्य संगठनों के सदस्य शामिल रहे।
डॉक्टरों में भय का माहौल
झारखंड के चिकित्सक लगातार हो रहे हमलों से नाराज़ हैं और राज्य सरकार से डॉक्टरों की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था करने और काफी समय से लंबित मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं। हाल के दिनों में हजारीबाग, गढ़वा, राँची, लोहरदगा, धनबाद में चिकित्सकों पर हुए हमले से डॉक्टरों में भय का माहौल है।
सुरक्षा की मांग के साथ ही बायोमेट्रिक उपस्थिति से वेतन को जोड़ने के आदेश से मुक्त रखना एवं धनबाद में डॉ हाजरा दम्पति एवं रांची रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सौरभ के साथ हुए दुखद घटना में सरकार के द्वारा मुआवजा देने और उनकी पत्नी को नौकरी देने की मांग की।
1 मार्च को किया था कार्य बहिष्कार
झारखंड के सरकारी एवं निजी डॉक्टरों ने पिछले एक मार्च को आईएमए और झासा के आह्वान पर एक दिवसीय कार्य बहिष्कार किया था। झारखंड आईएमए के सचिव डॉ प्रदीप सिंह कहते हैं कि झारखंड सरकार अगर 12 मार्च तक चिकित्सकों कि मांग को पूरा नहीं करती है तो राज्य में सरकारी प्राइवेट तथा मेडिकल से सम्बंधित सारी इकाई अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार पर चले जायेंगे।
समस्याओं का निदान करें सरकार
वहीं आईएमए महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ भारती कश्यप कहती हैं कि हम चिकित्सक कभी भी इस तरह का निर्णय लेना नहीं चाहते है पर मजबूरन विवश होकर हम लोगो को यह निर्णय लेना पड़ रहा है। हम राज्य की जनता से भी अनुरोध करते हैं कि वो राज्य सरकार को चिकित्सकों के सारी समस्याओ का निदान करने का अपील करें।
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