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Jharkhand News: राज्यपाल ने लौटाया 1932 के खतियान आधारित नीति विधेयक

रांची से विवेक चंद्र की रिपोर्ट: झारखंड के राज्यपाल ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति से संबंधित विधेयक को लौटा दिया है। इस विधेयक के वापस किए जाने के बाद पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर है। यह विधेयक राज्यपाल ने ऐसे समय में लौटाया है जब मुख्यमंत्री सूबे में खतियानी जोहार यात्रा कर […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Jan 29, 2023 21:22
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प्रतीकात्मक फोटो

रांची से विवेक चंद्र की रिपोर्ट: झारखंड के राज्यपाल ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति से संबंधित विधेयक को लौटा दिया है। इस विधेयक के वापस किए जाने के बाद पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर है। यह विधेयक राज्यपाल ने ऐसे समय में लौटाया है जब मुख्यमंत्री सूबे में खतियानी जोहार यात्रा कर रहे हैं।

राज्य सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करें

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने द्वारा झारखण्ड विधान सभा से पारित 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति संबंधी विधेयक को वापस लौटा दिया है। राज्यपाल ने ‘झारखण्ड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक, 2022’ की पुनर्समीक्षा हेतु राज्य सरकार को वापस करते हुए कहा है कि राज्य सरकार इस विधेयक की वैधानिकता की समीक्षा करें कि यह संविधान के अनुरूप एवं माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों व निदेशों के अनुरूप हो।

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क्या है इस अधिनियम में 

इस अधिनयम के अनुसार, स्थानीय व्यक्ति का अर्थ झारखंड का डोमिसाइल होगा जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमा के भीतर रहता है और उसका या उसके पूर्वज का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है। इसमें उल्लेख है कि इस अधिनियम के तहत पहचाने गए स्थानीय व्यक्ति ही राज्य के वर्ग-3 और 4 के विरुद्ध नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।

नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है

राज्यपाल ने कहा कि इस विधेयक की समीक्षा के क्रम में स्पष्ट पाया गया है कि संविधान की धारा 16 में सभी नागरिकों को नियोजन के मामले में समान अधिकार प्राप्त है। संविधान की धारा- 16(3) के अनुसार मात्र संसद को यह शक्तियां प्रदत्त हैं कि वे विशेष प्रावधान के तहत धारा 35 (A) के अंतर्गत नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तें लगाने का अधिकार अधिरोपित कर सकते हैं। राज्य विधानमंडल को यह शक्ति प्राप्त नहीं है। राज्यपाल ने इसे लौटाते हुए यह भी कहा है कि इस प्रकार यह विधेयक संविधान के प्रावधान तथा उच्चतम न्यायालय के आदेश के विपरीत है। वे विधेयक की वैधानिकता की गंभीरतापूर्वक समीक्षा कर लें, विधेयक संविधान एवं उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुरूप हो।

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बढ़ा सियासी पारा 

इस विधेयक के राज्यपाल द्वारा लौटाए जाने के बाद काफी दिनों से सुस्त पड़े झारखंड का सियासी पारा एक बार फिर काफी बढ़ गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने विधेयक लौटाए जाने का ठीकरा बीजेपी पर फोड़ते हुए राज्यपाल को कटघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि बीजेपी के लिए राज्यपाल बैकडोर से कार्य कर रहे हैं।
इधर विपक्षी दल बीजेपी ने राज्यपाल के इस कदम को संविधान के तहत उठाया गया कदम बता रही हैं। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा का कहना है कि राज्यपाल ने संविधान की कसौटी पर इसे कसते हुए वापस किया है। सरकार को राज्यपाल के द्वारा इंगित बिंदु पर विचार करने की जरूरत है। दरअसल 1932 के खतियान आधारित इस विधेयक को हेमंत सरकार मास्टर स्टॉक मान रही थी। यह विधेयक ऐसे समय में लौटाया गया है जब मुख्यमंत्री सूबे के जिलों में जाकर खतियानी जोहार यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में झारखंड का सियासी पारा तो बढ़ा ही है सरकार और राजभवन के बीच दूरी भी एक बार फिर से बढ़ती दिख रही है।

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Written By

Amit Kasana

First published on: Jan 29, 2023 08:57 PM

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