Jharkhand Election 2024: झारखंड में सत्ता हासिल करनी है तो आदिवासी बहुल इलाके में जीत दर्ज करना जरूरी है। ऐसे में 5 साल से प्रदेश की सत्ता से दूर बीजेपी आदिवासियों को साधने में जुटी है। बीजेपी के बड़े नेता कई दिनों से लगातार आदिवासी क्षेत्रों के दौरे कर रहे हैं। बीजेपी के प्रभारी शिवराज सिंह चैहान और सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा पिछले कई दिनों संथाल क्षेत्र में कैंप कर आदिवासियों को साधने के लिए रणनीति बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में चुनाव जीतने पर आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का इशारा किया तो वहीं अमित शाह ने आदिवासियों को यूसीसी के दायरे से बाहर रखने की बात कही है। गृह मंत्री ने कहा कि उनकी परंपराओं को बचाने के लिए हमारी पार्टी हरसंभव प्रयास करेगी। ऐसे में अब सवाल उठता है कि बीजेपी आदिवासी बहुल सीटों पर फोकस क्यों कर रही हैं?
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पिछले तीन चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन रहा फीका
पिछले तीन चुनावों बीजेपी को आदिवासी बहुल 18 सीटों पर ज्यादा वोट नहीं मिला है। कहा जाता है कि अगर रांची में राज करना है तो पहले आदिवासियों के दिलों पर राज करना होगा। यानि आदिवासियों को साधे बिना झारखंड में सत्ता नहीं मिल सकती। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। एसटी के लिए आरक्षित 28 सीटों में से उसे सिर्फ 2 सीटें मिली थी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को 14 में से 8 सीटों पर जीत मिली थी। पार्टी एसटी बहुल पांचों सीटों पर चुनाव हार गई थी। वहीं 2019 में उसे 3 सीटों पर जीत मिली थी।
इन मुद्दों पर फोकस कर रही बीजेपी
बीजेपी इस बार चुनाव में बांग्लादेशियों का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है। पार्टी के नेता आदिवासियों को समझा रहे हैं कि कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए उनकी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। इतना ही नहीं पार्टी धर्म परिवर्तन के मुद्दे को लेकर लोगों को समझा रही है। बता दें कि झारखंड की सियासत में 30 प्रतिशत आदिवासी बड़ी भूमिका में है। 2019 के चुनाव में संथाल परगना की 18 में से 14 सीटें जेएमएम ने जीती थी, जबकि 4 सीटें बीजेपी के खाते में गई।
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