Shibu Soren Funeral: झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। आज उनके पैतृक गांव नेमरा में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। दरअसल, ‘दिशोम गुरु’ एक संथाली शब्द है।
झारखंड में देश के तीसरे सबसे बड़े आदिवासी समाज संथाली के लिए शिबू सोरेन ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। समुदाय, के प्रति अपने समर्पण और नेतृत्व के लिए ही उन्हें दिशोम गुरु की उपाधि दी गई थी। आइए आपको इस खबर में बताते हैं कि संथाली समाज कौन होते हैं, ये लोग देश के किन-किन राज्यों में रहते है और क्या करते हैं?
STORY | Mortal remains of Shibu Soren to be laid to rest at ancestral village with full state honours
— Press Trust of India (@PTI_News) August 5, 2025
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देशभर में 70 लाख की आबादी, साल 1855 में किया था विद्रोह
देश में साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत में संथाल समुदाय की करीब 70 लाख से अधिक आबादी है। ये समुदाय झारखंड के अलावा बिहार, असम, बांग्लादेश, नेपाल, पश्चिम बंगाल समेत सात राज्यों में रहते हैं। ये देश का तीसरा सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है। जानकारी के अनुसार संथाल समुदाय 1855-56 में संथाल हूल (विद्रोह) के लिए जाना जाता है। समुदाय ने ये आंदोलन अपने अपने अधिकारों के लिए किया था।

सामुदायिक एकता और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किया आंदोलन
संथाल समुदाय समृद्ध आदिवासी समूह है जो अपनी परंपराओं, प्रकृति के प्रति प्रेम और सामुदायिक एकता के लिए जाने जाते हैं। ब्रिटिश काल में समुदाय ने ब्रिटिश शासन और जमींदारों के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था। इसके अलावा सरकार के भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी समेत अन्य मुद्दों पर विद्रोह के चलते अक्सर समुदाय सुर्खियों में बना रहता है।
प्रकृति और संस्कृति से जुड़ाव है पहचान, संथाली है भाषा
संथाल समुदाय अपनी जीवनशैली और संस्कृति से जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं। इतिहासकारों के अनुसार संथाल एक ऑस्ट्रो-एशियाटिक (मुंडा) भाषा समूह से संबंधित आदिवासी समुदाय है। इनकी मातृभाषा संथाली है जो देश की 22 अनुसूचित भाषाओं में शामिल है। बता दें समुदाय के लोग अपने पारंपरिक धर्म ‘सारना’ का पालन करते हैं। समाज के लिए सूर्य प्रकृति और अपने पूर्वजों की पूजा करते हैं।
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