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हिमाचल

कौन है दो भाइयों की अकेली पत्नी सुनीता चौहान? अनोखी शादी के बाद क्या बोले दूल्हे और दुल्हन

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव में एक अनोखी शादी का मामला सामने आया है। इसमें दो सगे भाइयों ने एक ही युवती से शादी की है। यह शादी हट्टी समुदाय की परंपरा जोड़ीदार के तहत हुई है। तीन दिन तक चली इस शादी में स्थानीय लोगों ने शामिल होकर लोकगीत गाए और नृत्य भी किया। अब इस शादी की चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Jul 20, 2025 17:05
two brother married with single girl
Credit-X

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव में एक अनोखी शादी देखने को मिली है। इसमें दो भाइयों, प्रदीप और कपिल नेगी ने एक ही महिला सुनीता चौहान से शादी की है। यह शादी हट्टी समुदाय की पुरानी परंपरा ‘जोड़ीदार’ के तहत हुई, जिसमें एक महिला दो या अधिक भाइयों से शादी कर सकती है। इस शादी 12 जुलाई को शुरू हुई और तीन दिन तक चली। इसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। शादी में स्थानीय लोक गीत और नृत्य हुआ और इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ।

आपसी सहमति से लिया गया शादी का फैसला

प्रदीप नेगी ने बताया कि यह शादी उनकी और कपिल की आपसी सहमति से हुई। प्रदीप ने कहा कि ‘हमने अपनी परंपरा को गर्व के साथ सार्वजनिक रूप से अपनाया। यह हमारा साझा फैसला था,’। वहीं, कपिल ने कहा कि ‘हम अपनी पत्नी को प्यार, स्थिरता और सहारा देना चाहते हैं। हम हमेशा से पारदर्शिता में विश्वास रखते हैं।’

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सुनीता ने भी जताई खुशी

कुन्हट गांव की रहने वाली सुनीता चौहान ने कहा कि वह इस परंपरा को पहले से जानती थीं और उन्होंने अपनी मर्जी से इस शादी के लिए हामी भरी है। उन्होंने कहा कि ‘मैं इस रिश्ते का सम्मान करती हूं और हम तीनों के बीच बने बंधन से खुश हूं।’

क्या है ‘जोड़ीदार’ परंपरा?

हिमाचल प्रदेश के राजस्व कानूनों में ‘जोड़ीदार’ के तहत ऐसी शादियों को मान्यता दी जाती है। हट्टी समुदाय, जिसे 2022 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है। यह मुख्य रूप से हिमाचल-उत्तराखंड सीमा पर बसा है। इस समुदाय में करीब तीन लाख लोग 450 गांवों में रहते हैं। बधाना गांव में पिछले छह सालों में कम से कम पांच ऐसी शादियां हुई हैं।

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क्यों शुरू हुई यह परंपरा?

केंद्रीय हट्टी समिति के महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने बताया कि यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और इसका उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक जरूरतों को पूरा करना था। पहाड़ी इलाकों में खेती-बाड़ी और जमीन की देखभाल के लिए परिवार में अधिक पुरुषों की जरूरत होती थी। यह परंपरा सौतेले भाइयों के बीच एकता बनाए रखने और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद करती थी।

बदलते समय में परंपरा

हालांकि, शिक्षा, सामाजिक बदलाव और आर्थिक विकास के कारण यह परंपरा अब कम हो रही है। फिर भी, कुछ गांवों में यह परंपरा चुपके से जारी है और इसे सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है। पड़ोसी क्षेत्रों जैसे उत्तराखंड के जौनसार बबार और हिमाचल के किन्नौर में भी पहले ऐसी परंपराएं थीं।

यह शादी न केवल हट्टी समुदाय की अनोखी परंपरा को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आधुनिक समय में भी कुछ लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े हुए हैं।

First published on: Jul 20, 2025 05:05 PM

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