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हरियाणा

‘हमने फ्री बिजली की बात कभी नहीं की’, बोले हरियाणा के उर्जा मंत्री अनिल विज

हरियाणा में बिजली दरों में मामूली बढ़ोतरी को लेकर सियासत गरमा गई है। ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बिजली के दाम नहीं बढ़े, और मौजूदा बदलाव हरियाणा बिजली विनियामक आयोग द्वारा तय किए गए हैं। उन्होंने विपक्ष पर गुमराह करने का आरोप लगाया।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jun 30, 2025 23:02
Anil Vij
हरियाणा के उर्जामंत्री अनिल विज (फोटो सोर्स- ANI)

हरियाणा में बिजली की दरों में बढ़ोतरी को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। विपक्ष सरकार पर हमलावर है और कुछ संगठनों की तरफ से विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। इस बीच ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने कहा है कि विपक्ष लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार ने कभी भी बिजली दरों में इजाफा नहीं किया।

अनिल विज ने कहा कि पिछले दस वर्षों में बिजली के दाम नहीं बढ़े, जबकि इस दौरान बिजली उत्पादन की लागत लगातार बढ़ी है। हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग ने दरों में मामूली इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि हमने कभी भी मुफ्त बिजली देने का वादा नहीं किया। विपक्ष इस मामले में लोगों को भ्रमित कर रहा है।

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विपक्ष के प्रदर्शन पर अनिल विज ने कहा कि विपक्ष भाड़े के लोगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है। 2 किलोवाट तक उपयोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के मासिक बिल में 2014-15 के मुकाबले 49 से 75 प्रतिशत तक की कमी आई है।


अनिल विज ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि श्रेणी-1 और श्रेणी-2 में लगभग 94 प्रतिशत बिजली उपभोक्ता आते हैं, जिनमें से अधिकतर के मासिक बिल में कमी दर्ज की गई है। हरियाणा में घरेलू श्रेणी के लिए निश्चित शुल्क (फिक्स्ड चार्ज) 0 रुपये से 75 रुपये/किलोवाट तक और उच्चतम ऊर्जा स्लैब 7.50 रुपये/यूनिट पर बनाए रखा गया है। जबकि पड़ोसी राज्यों में निश्चित शुल्क 110 रुपये/किलोवाट तक और ऊर्जा शुल्क 8 रुपये/यूनिट तक है।

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वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता संपत सिंह ने HERC द्वारा जारी टैरिफ आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि यूटिलिटीज 3.12 रुपये प्रति यूनिट की लागत से 7,964.28 करोड़ यूनिट बिजली खरीद रही हैं, फिर भी उपभोक्ताओं को औसतन 7.29 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली बेची जा रही है। खरीदी गई कुल बिजली में से केवल 6,916 करोड़ यूनिट ही उपभोक्ताओं तक पहुंच रही है, जिसका मतलब है कि ट्रांसमिशन और वितरण घाटा 22 प्रतिशत से अधिक है। ऐसे में उस बिजली के भी पैसे वसूले जा रहे हैं जो उन्हें कभी मिलती ही नहीं।

First published on: Jun 30, 2025 11:02 PM

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