Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने बुधवार 04 अगस्त को पहली लिस्ट जारी कर दी। बीजेपी की पहली लिस्ट में 67 उम्मीदवारों के नाम है। वहीं इस लिस्ट में 30 फीसदी नए चेहरों को मौका मिला है। इसके अलावा पार्टी ने कई कद्दावर परिवारों से भी उम्मीदवार तय किए हैं। पहली सूची में जातीय समीकरणों का भी पूरा ख्याल रखा है। इसके साथ ही पार्टी ने 9 विधायकों का टिकट भी काटा है ताकि 10 साल की सत्ता विरोधी लहर को खत्म किया जा सके।
बता दें कि पार्टी ने अपनी पहली सूची में जातीय समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा है। पार्टी ने लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए सभी समीकरणों को ध्यान में रखा है। इस बीच एक बड़ी समस्या बगावत और दलबदलू नेताओं की है। पार्टी ने 9 दलबदलू नेताओं को भी मौका दिया है। बगावत की एक वजह दूसरी पार्टी से आए नेताओं को टिकट देना है। यह हमेशा ही पार्टी के लिए घातक रहा है।
9 दलबदलुओं को बनाया प्रत्याशी
भाजपा ने जेजेपी के पूर्व विधायक देवेंद्र बबली को टोहाना सीट से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस से आए निखिल मदान को प्रत्याशी बनाया है। भव्य बिश्नोई तो बीजेपी से पहले ही उपचुनाव जीत चुके हैं। श्रुति चौधरी दिग्गज कांग्रेसी और 4 बार के सीएम बंशीलाल के परिवार से आती है। श्रुति चौधरी उनकी पौती हैं। पार्टी ने जेजेपी के रामकुमार गौतम को फिर से प्रत्याशी बनाया है। जेजेपी के ही पवन कुमार को पार्टी ने टिकट दिया है। इसके एचजेपी ने आईं शक्तिरानी शर्मा को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। इनेलो के श्याम सिंह राणा को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। जेजेपी के संजय काबलाना को बीजेपी ने टिकट दिया है।
भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति ने होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए निम्नलिखित नामों पर अपनी स्वीकृति प्रदान की है। (1/2) pic.twitter.com/1tpfHgogRR
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इनके टिकट कटे
इसके साथ ही पार्टी ने बवानी खेड़ा से विशंभर वाल्मीकि, पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, सोहना से राज्य मंत्री संजय सिंह, रानिया सीट से रणजीत चौटाला, अटेल से सीताराम यादव, पेहवा से संदीप सिंह और रतिया से लक्ष्मण नापा का टिकट काट दिया है।
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दलबदलू को टिकट देना नहीं आता रास
पिछले कई चुनावों का इतिहास देखें तो बीजेपी को दलबदलू नेताओं को टिकट देना हमेशा ही भारी पड़ा है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने करीब 50 से अधिक टिकट दलबदलू नेताओं को दिए थे नतीजन पार्टी 80 प्रतिशत से अधिक सीटें हार गई। ऐसा ही कुछ राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल और एमपी में देखने को मिला है। ऐसे में यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि पार्टी की इस रणनीति में कितना दम है?
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