हरियाणा के गुरुग्राम में बेसबॉल से कुछ स्कॉर्पियो सवार युवकों ने एक सॉफ्टवेयर डेवलपर पर हमला कर दिया। इस घटना के दो दिन बाद वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। इस मामले में पुलिस ने मंगलवार को चार लोगों को गिरफ्तार किया। वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया, जिससे आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग उठने लगी। वीडियो में दिख रहा है कि लोग बाइक को डंडों से नुकसान पहुंचा रहे हैं और बाइक सवार की पिटाई कर रहे हैं, जबकि वह जाने देने की अपील कर रहा था।
क्या है पूरा मामला?
मामला गुरुग्राम में रहने वाले युवक हार्दिक शर्मा (32) का है, जो एक मशहूर फूड ऑर्डरिंग और डिलीवरी फर्म में सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर काम करते हैं। बीते रविवार की सुबह एसयूवी में सवार 4 लोगों ने कथित तौर पर हमला किया। यह घटना द्वारका एक्सप्रेसवे के पास हुई जब वह मानेसर की ओर जा रहे बाइकर्स के एक समूह के साथ निकले थे। सेक्टर-37 के थाना प्रभारी इंस्पेक्टर शाहिद अहमद के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम ने खेड़की दौला टोल प्लाजा के पास से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया। संदिग्धों की पहचान जिम ट्रेनर दीपक सिंह (24), जिम मालिक भानु शर्मा (33), क्रिकेट ग्राउंड किराए पर देने वाली प्रज्ञा शर्मा (23) और रजत सिंह (24) के रूप में हुई है।
He studied hard.
Became a software engineer.
Bought his dream bike.
Went on a group ride.
Beaten up by Gurgaon gundas.
11L bike destroyed.Moral? If you succeed young in India—just leave. pic.twitter.com/h1Kwg2rTRL
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मामले पर पुलिस से अपडेट नहीं मिला- हार्दिक शर्मा
हिसार के रहने वाले हार्दिक शर्मा ने दावा किया कि उन्हें इस मामले पर पुलिस से अपडेट नहीं मिल रहा है, जिसके बाद ये गिरफ्तारियां की गईं। पीड़ित के मुताबिक, वे मेरे फोन नहीं उठा रहे हैं और कोई अपडेट नहीं दे रहे हैं। मेरे वकील ने मुझे बताया कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए सभी अपराध ज़मानती हैं। मैं इससे खुश नहीं हूं।
पीड़ित ने लगाया लापरवाही का आरोप
पुलिस ने रविवार देर रात सेक्टर 37 थाने में भारतीय न्याय संहिता के तहत एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें चोट पहुंचाने, गलत तरीके से रोकने, स्पीड से गाड़ी चलाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और आपराधिक धमकी से संबंधित अपराध शामिल थे। पीड़ित ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपियों ने उनके सिर पर स्टील के बेसबॉल बैट से वार किया। हेलमेट पहने होने के कारण वह बच गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें अपनी शिकायत दर्ज करवाने में 12 घंटे लग गए। हम एक पुलिस स्टेशन पहुंचे, लेकिन लगभग 6-7 घंटे तक एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर भटकते रहे। आखिरकार जब सही स्टेशन पहुंचने में कामयाब हुए, तो एफआईआर दर्ज करवाने में 6 घंटे और लग गए।
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