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हरियाणा में नाराज जाटों मनाने की कवायद, किरण चौधरी के BJP जाॅइन करने से पार्टी को मिलेगी संजीवनी

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने है। इस बीच कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने बीजेपी जाॅइन कर ली। ये भाजपा के लिए संजीवनी और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jun 19, 2024 14:25
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Congress MLA Kiran Choudhary Join BJP
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी

Congress MLA Kiran Choudhary Join BJP: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद 4 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए अग्निपरीक्षा की तरह है। इसके लिए पार्टी अभी से तैयारियों में जुट गई है। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल के आखिर तक होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रभारियों की घोषणा कर दी है। इस बीच हरियाणा में वापसी की कोशिशों में जुटी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। भिवानी के तोशाम से कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी एक व्यक्ति की जागीर बनकर रह गई है।

लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से ही कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर जंग छिड़ी हुई है। सूत्रों की मानें तो हरियाणा कांग्रेस में दो मोर्चे बन गए हैं। एक तरह पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा की अगुवाई वाला गुट है तो दूसरी ओर उदयभान और कुमारी शैलजा की अगुवाई वाला गुट है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे इस्तीफे में किरण चौधरी ने कहा कि हरियाणा में पार्टी को निजी जागीर की तरह चलाया जा रहा था। जिससे मेरी जैसी ईमानदार आवाजों के लिए कोई जगह नहीं बची। मुझे पूरी प्लानिंग से दबाया और अपमान किया गया। खबर तो यह भी है कि किरण बेटी श्रुति को भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज थीं।

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बीजेपी को कितना फायदा?

किरण चौधरी के बीजेपी जाॅइन करने का फैसला कितना सही है और कितना गलत? ये तो विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा। लेकिन उनके इस्तीफे ने राजनीतिक विश्लेषकों को चर्चा करने को मजबूर कर दिया है। कि क्या बीजेपी से नाराज जाट उनके आने से भगवा पार्टी को समर्थन देंगे। लोकसभा चुनाव 2024 में जाटों का साथ बीजेपी को नहीं मिला इसी का परिणाम था कि पार्टी 10 में से 5 सीटों पर सिमट गई। राज्य की कुल 87 फीसदी हिंदू आबादी में जाट लगभग 27 प्रतिशत है। इसलिए हरियाणा की राजनीति अक्सर ही जाटों के इर्द गिर्द ही रहती है। 2014 में बीजेपी के लोकसभा में 10 सीटें जीतने और विधानसभा में 90 में 47 सीटें जीतने के पीछे जाटों का बहुत बड़ा योगदान था।

प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से 40 पर जाट वोटर्स प्रभावी है। 1966 में अलग राज्य बनने के बाद से ही प्रदेश में 33 साल तक जाट सीएम रहा है। वहीं 24 साल गैर जाट सीएम रहा है जिसमें भाजपा के पिछले 10 साल हटा दें तो यह अंतर और भी बढ़ जाता। भजनलाल पहले ऐसे गैर जाट सीएम हैं जो प्रदेश में 11 साल तक सत्ता में रहे।

जाटों को दरकिनार कर राज्य की सत्ता में रह पाएगी बीजेपी!

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें 47 से घटकर 40 रह गई। वहीं चौटाला परिवार से दुष्यंत चौटाला ने अपनी नई पार्टी जेजेपी लाॅन्च की। उनकी पार्टी ने चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए प्रदेश की 10 सीटों पर जीत दर्ज की और भाजपा को समर्थन दिया। जेजेपी के सहयोग से भाजपा के मनोहरलाल खट्टर ने बतौर सीएम दूसरी पारी शुरू की। जाट वोटर्स की नाराजगी के कारण ही बीजेपी की सीटें 2019 में घटकर 40 रह गई थी। हालांकि तब यह कहा गया कि जेजेपी, इनेलो और कांग्रेस में जाट वोटर्स का बंटवारा होने के कारण बीजेपी की सीटें कम हो गई। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में भगवा पार्टी सिर्फ 5 सीटों पर सिमट गई।

बीजेपी की गैर जाट राजनीति कितनी सफल?

जाटों की नाराजगी की खबर के बीच बीजेपी ने गैर जाट वोटर्स को साधना शुरू किया। इसके लिए भगवा पार्टी ने दलील दी कि राज्य में पिछले 10 साल से गैर जाट सीएम है। 2011 की आबादी के अनुसार प्रदेश में करीब 35 फीसदी ओबीसी है। वहीं एससी की आबादी 20 प्रतिशत है। भाजपा की ये रणनीति काफी हद तक सफल भी रही। लेकिन सिरसा से अशोक तंवर का हारना भाजपा के लिए झटका रहा। हालांकि इसके लिए गलत कैंडिडेट का चुनाव समेत कई कारण गिनाए जा रहे हैं।

राज्य में इस साल के अंत तक होने जा रहे विधानसभा चुनाव में एक बात तो तय है कि यहां बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर होगी। कांग्रेस भीतरघात से जुझ रही है तो वहीं बीजेपी जाट वोटर्स की सिम्पैथी हासिल करना चाहती है इसके लिए वह अग्निवीर जैसी योजना में परिवर्तन करके जाट वोटर्स को साध सकती है। इसके साथ ही किसानों के लिए एमएसपी बढ़ाकर और एमएसपी गारंटी पर भी बीच का रास्ता निकाल सकती है। वहीं गैर जाट वोट तो बीजेपी को प्रदेश में पहले भी मिलता रहा है।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Jun 19, 2024 02:21 PM

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