Trump tariff huge impact Gujarat industry: भारत पर अमेरिका द्वारा रशिया से क्रूड ऑयल खरीदने के कारण लगाए गए 50% टैरिफ का सीधा असर अब नवरात्रि के चणियाचोली और हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट पर भी पड़ रहा है। नवरात्रि को विश्व का सबसे बड़ा डांस फेस्टिवल माना जाता है, और इसमें इस्तेमाल होने वाले चणियाचोली व टेक्सटाइल-एपरेल्स श्रेणी के उत्पादों पर यह अतिरिक्त बोझ संकट खड़ा कर रहा है।
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#WATCH | Gujarat | Surat textile industry faces the heat of the 50% tariffs imposed by the US. pic.twitter.com/PVQ6yGQpAS
— ANI (@ANI) September 1, 2025
50% टैरिफ से निराश हैंडीक्राफ्ट व्यापारी
गुजरात के चणियाचोली और हैंडीक्राफ्ट व्यापारियों का कहना है कि इस टैरिफ से उनके एक्सपोर्ट में लगभग 50% तक की गिरावट आ चुकी है। कारीगरों ने पूरे साल उत्पादन की तैयारी की थी, लेकिन अब ऑर्डर कम हो रहे हैं। एक हैंडलूम व्यापारी के अनुसार – चણियाचोली के साथ कच्छ और सौराष्ट्र के हजारों परिवार जुड़े हैं। बीड वर्क, एप्लिक वर्क, हैंड एम्ब्रॉइडरी और मशीन एम्ब्रॉइडरी जैसे कार्यों से जुड़े कारीगरों पर भी सीधा असर पड़ा है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो टेक्सटाइल प्रोडक्ट्स की बिक्री में 60-70% तक की गिरावट आ सकती है।
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भारत के एक्सपोर्टर्स ने सरकार से मांगी 10% सब्सिडी
भारत के एक्सपोर्टर्स सरकार से 10% सब्सिडी की मांग कर रहे हैं ताकि नुकसान की भरपाई हो सके। भारत से अमेरिका को हैंडलूम उत्पादों (कालीन, शॉल, चादर) का एक्सपोर्ट लगभग 4,200 करोड़ रुपए है। हेंडिक्राफ्ट एक्सपोर्ट में अमेरिका का हिस्सा 38% है, जिसकी वैल्यू 2022-23 में 9,576 से 23,860 करोड़ रुपए रही थी। गुजरात के सूरत और अहमदाबाद से अमेरिका को टेक्सटाइल व हेंडिक्राफ्ट की निकासी 29,400 करोड़ रुपए की होती है, जिसमें चણિયाचोली का अहम योगदान है। जानकारों के मुताबिक अनुमान है कि 27 अगस्त 2025 से लागू 50% टैरिफ से गुजरात की निकासी में 50-70% की कमी आ सकती है।
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स्थानीय कारीगरों पर असर
गुजरात में 52 प्रकार के हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट आर्टिस्ट काम करते हैं। इनकी आय स्थानीय व्यापार और एक्सपोर्ट से जुड़ी है। टैरिफ का असर उनकी रोज़ी-रोटी पर भी पड़ सकता है। हालाँकि, भारत का स्थानीय मार्केट मज़बूत है, जिससे लंबे समय में स्थिति संभल सकती है। लेकिन फिलहाल अमेरिकी बाजार पर निर्भर व्यापारी और कारीगर निराशा और अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।