Mentally Disabled Man Burnt Alive For Insurance Claim: पैसे के लालच में इंसान किसी भी हद तक जा सकता है। इसका जीता जागता उदाहरण गुजरात में देखने को मिला। एक शख्स ने दिव्यांग युवक को कार में जिंदा जला दिया और लाश को अपने बेटे की बताकर करीब 90 लाख रुपये बीमा के हड़प लिए। अपने ही परिवार में प्रॉपर्टी को लेकर विवाद हुआ तो दुश्मन बने अपनों ने ही उसकी असलियत पुलिस वालों को बता दी और 17 साल बाद एक फर्जी मौत का राज खुल गया। अहमदाबाद पुलिस ने जांच की तो पुलिस वारदात का खुलासा कर पाई और आरोपियों की पहचान की, जो अभी फरार बताए जा रहे हैं।
The murder of a beggar to prove own death for insurance claim in UP: Accused nabbed in Ahmedabad living under fake identity after 17 years https://t.co/QhwTk63LWZ
— DeshGujarat (@DeshGujarat) November 8, 2023
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आरोपी के चाचा ने ही खोली उसकी पोल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच पुलिस मामले की जांच कर रही है। आरोपी दनकौर शहर के पारसौल गांव का रहने वाला अनिल मलिक और उसका पिता विजयपाल है। प्रॉपर्टी विवाद के चलते अनिल के चाचा धर्मपाल ने ही पुलिस के सामने यह राज खोला। उसने पहले नोएडा में गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर को शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने मामला टरका दिया था। नोएडा पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो धर्मपाल ने अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को अनिल के जीवित होने की बात बताई। वहां की पुलिस ने जांच की तो सच पता चला। खुलासा हुआ कि अनिल के मास्टरमाइंड पिता विजयपाल ने इंश्योरेंस के लाखों रुपये हड़पने के लिए साजिश रची थी।
17 साल अहमदाबाद में छिपा रहा आरोपी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विजयपाल ने 3 जुलाई 2006 को आगरा से मानसिक रूप से विक्षिप्त भिखारी को खाना खिलाने का लालच देकर कार में बिठाया। उसे खाने की नशीली गोलियां खिला दीं। वह बेहोश हो गया तो सुनसान जगह पर ले जाकर कार में आग लगा दी। विजयपाल ने अपने बेटे अनिल को गायब कर दिया और हादसा होने की कहानी सुनाते हुए जांच कर रही पुलिस को कार में जले व्यक्ति की लाश अनिल की होने की बात की। इस साजिश में विजयपाल के दोस्तों ने भी साथ दिया। इसके बाद आरोपियों ने अनिल के डेथ क्लेम के 80 लाख रुपये और गाड़ी के क्लेम के 10 लाख रुपये इंश्योरेंस कंपनी से ले लिए थे। 17 साल तक अनिल अहमदाबाद में छिपा रहा।