भूपेंद्रसिंह ठाकुर
गुजरात के खेड़ा जिले के मुहम्मदाबाद तालुका के गाड़वा में स्थित सरदार पटेल के नाम पर चल रही जमीन को हड़पने की साजिश रची गई थी, जिसमें गुजरात प्रांतीय समिति की जमीन पर मालिक के रूप में वल्लभ झवेरीभाई पटेल का नाम दर्ज था। रिकॉर्ड कंप्यूटरीकरण के बाद इसमें कुछ बदलाव हुआ था। इसके साथ ही जमीन पुरानी शर्त की थी, जिसका फायदा उठाकर गलत तरीके से वल्लभभाई झवेरीभाई पटेल का नाम दर्ज करवा कर नकली गवाह खड़े कर जमीन का विक्रय दस्तावेज तैयार किया गया था। पूरे मामले में मुहम्मदाबाद अतिरिक्त कोर्ट द्वारा 3 आरोपियों को दोषी ठहराकर अलग-अलग धाराओं के तहत पांच साल की सजा सुनाई गई है। ट्रायल के दौरान एक आरोपी की प्राकृतिक मृत्यु हो गई थी।
नकली सरदार पटेल बनने की बात सामने आई
मामला उजागर होते ही यह पता चला कि नकली सरदार पटेल बनकर जमीन हड़पने का प्रयास किया गया था। 2004 में रिकॉर्ड कंप्यूटरीकरण के बाद कुछ शब्दों को हटा दिया गया था। इसके साथ ही 2009 में पुरानी शर्त की जमीन होने के कारण इसका लाभ उठाने की साजिश रची गई थी। 2010 में सब रजिस्ट्रार कार्यालय में सेल्स डॉक्यूमेंट रजिस्टर्ड करवा लिया गया था। उसके बाद विक्रय करने वाले भूपेंद्र डाभी ने राजस्व रिकॉर्ड में मालिकाना हक में अपना नाम दर्ज करने के लिए मामलतदार कार्यालय में आवेदन किया था, जिसमें मूल मालिक वल्लभ झवेरी के नाम पर 135डी के तहत नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस के जवाब में प्रस्तुत दस्तावेज में संपत्ति के मालिक वल्लभभाई झवेरीभाई का नाम लिखा हुआ था। उस नाम पर फेरबदल कर उसके नीचे भूपेंद्र डाभी ने हस्ताक्षर किए थे।
वल्लभभाई झवेरीभाई को नोटिस न मिलने के बावजूद बदलाव दर्ज कर लिया गया और इस आधार पर वल्लभभाई झवेरीभाई का नाम रिकॉर्ड से हटा कर आरोपी भूपेंद्र डाभी ने मालिकाना हक में अपना नाम दर्ज करवा लिया था। यह बात उस समय के नायब मामलतदार बीएन शर्मा के ध्यान में आई और झूठे विक्रय दस्तावेज होने का खुलासा होते ही उन्होंने मुहम्मदाबाद पुलिस स्टेशन में 2012 में सभी आरोपियों के खिलाफ लिखित शिकायत दी थी।
20 मौखिक और 69 दस्तावेजी प्रमाण पेश किए गए मामले में सरकारी वकील केए सुथार द्वारा 20 मौखिक प्रमाण पेश किए गए, जिनमें शिकायतकर्ता, दस्तावेज लिखने वाले और रजिस्टर्ड करने वाले सब रजिस्ट्रार, हस्ताक्षर विशेषज्ञ, फिंगरप्रिंट विशेषज्ञ शामिल थे। इसके साथ ही 69 दस्तावेजी प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए थे। वकील द्वारा की गई दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने आदेश दिया था।
गलत पहचान देकर दस्तावेज अपने नाम पर करवा लिया
सरकारी वकील केए सुथार ने कहा कि आज के दिन मान्यताप्राप्त कोर्ट ने गाड़वा सीमा की सर्वे नंबर 270 वाली जमीन, जो वल्लभ झवेरी पटेल के नाम पर और वहां चल रही थी, पर फैसला सुनाया। यह गुजरात प्रांतीय समिति की जमीन थी, जिसमें मालिक के रूप में उस समय के ट्रस्ट में वल्लभभाई झवेरीभाई पटेल का नाम दर्ज था। 2004 में जब रिकॉर्ड कंप्यूटरीकरण हुआ, तो आगे जो गुजरात प्रांतीय समिति गु प्रा स लिखा हुआ था, वह रिकॉर्ड से हटा दिया गया और सिर्फ वल्लभभाई झवेरीभाई का नाम रिकॉर्ड में रह गया और जमीन पुरानी शर्त की हो गई। इसका फायदा उठाते हुए आरोपियों ने हिराभाई कला डाभी को वल्लभ झवेरी पटेल का नाम बताकर भूपेंद्र देसाई डाभी ने इस गड़वा सीमा की सर्वे नंबर 270 वाली जमीन का विक्रय दस्तावेज अपने नाम पर करवा लिया।
हिरा कला डाभी, जिन्होंने वल्लभभाई झवेरीभाई पटेल का नाम अपनाया था, उनकी पहचान भूपेंद्रभाई के पिता देसाई जेहाभाई डाभी ने दी थी। उन्होंने भी गलत नाम अपनाया था। दूसरे पहचान देने वाले के रूप में प्रताप शंकर चौहान ने भी हिरा कला डाभी को वल्लभ झवेरी के रूप में इस विक्रय दस्तावेज में पहचान दी थी।
झूठा दस्तावेज तैयार कर इस्तेमाल करने के अपराध में दोषी ठहराए गए। इसके अलावा सरकारी वकील ने बताया कि इस मामले में मुहम्मदाबाद अतिरिक्त कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने सभी आरोपियों को झूठा दस्तावेज तैयार कर उसे उपयोग करने के अपराध में दोषी ठहराया है। आईपीसी की धारा 465 में एक साल, 467 में दो साल, 468 में एक साल और 471 में एक साल की सजा तथा सभी धाराओं में एक हजार रुपये का जुर्माना सभी आरोपियों पर लगाया गया है। हिरा कला डाभी, जिन्होंने वल्लभ झवेरी पटेल का नाम अपनाया था, उनकी ट्रायल के दौरान प्राकृतिक मृत्यु हो चुकी है। बाकी 3 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी ठहराया है।
ये भी पढ़ें- मानसून से पहले पूरा होगा गुजरात के भारज रेलवे ब्रिज का काम; अधिकारियों ने दी जानकारी