भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने गुजरात के गांधीनगर स्थित GIFT सिटी में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT), नई दिल्ली के एक ऑफ-कैंपस केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह केंद्र UGC (विश्वविद्यालय माने जाने वाले संस्थान) विनियम, 2023 के अनुसार स्थापित किया जाएगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने यूजीसी की सलाह पर गुजरात के गांधीनगर में गिफ्ट सिटी के गिफ्ट टॉवर 2 (16वीं और 17वीं मंजिल) में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT), नई दिल्ली के ऑफ-कैंपस केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
शिक्षा मंत्रालय ने दी मंजूरी
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने गुजरात के गांधीनगर स्थित GIFT सिटी में भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT), नई दिल्ली के एक ऑफ-कैंपस केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की सलाह पर दी गई है।
The Ministry of Education, Government of India, has approved the establishment of an off-campus centre of the Indian Institute of Foreign Trade (IIFT), New Delhi, at GIFT City, Gandhinagar, Gujarat. The centre will be set up in accordance with the UGC (Institutions Deemed to be… pic.twitter.com/qxtFq3CBTJ
— ANI (@ANI) May 6, 2025
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क्या हैं ऑफ-कैंपस केंद्र की विशेषताएं?
- यह केंद्र UGC (विश्वविद्यालय माने जाने वाले संस्थान) विनियम, 2023 के अनुसार स्थापित किया जाएगा।
- ऑफ-कैंपस केंद्र GIFT टावर 2 (फ्लोर 16 और 17) में स्थित होगा।
- इस केंद्र की स्थापना से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार होगा और बहुविषयक शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।
क्या है IIFT?
IIFT की स्थापना 1963 में हुई थी और इसे 2002 में डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया था। नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (NAAC) ने IIFT को ‘ए’ ग्रेड दिया है। यह संस्थान विदेश व्यापार क्षेत्र में कौशल विकास के लिए काम करता है।
क्या हैं इसकी शर्तें?
ऑफ-कैंपस केंद्र शुरू करने से पहले IIFT को तीन साल के भीतर कुछ शर्तों को पूरा करना होगा, जिनमें शामिल हैं:
- 1000 से अधिक छात्रों के साथ एक बहु-विषयक संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए रोडमैप प्रस्तुत करना।
- न्यूनतम 50 शिक्षकों के साथ अंडर ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट या रिसर्च प्रोग्राम शुरू करना।
- स्थायी परिसर के लिए जमीन और निर्माण की व्यवस्था करना।
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