Gujarat News: उत्तराखंड के बाद अब गुजरात देश का दूसरा राज्य बनने जा रहा है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसको लेकर राज्य सरकार ने आज आधिकारिक रूप से UCC कमेटी की घोषणा की है। यह कमेटी नागरिकों से सुझाव लेने और उनकी राय जानने के लिए काम कर रही है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में UCC लागू करने को लेकर बड़ी घोषणा की थी।
मुख्यमंत्री ने की कमेटी के साथ अहम बैठक
UCC को लेकर आज मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में अहम बैठक हुई, जिसमें UCC कमेटी के सभी सदस्य शामिल हुए। इस बैठक में रिपोर्ट के मसौदे और नागरिकों से मिले सुझावों पर चर्चा की गई। कमेटी ने राज्य भर में नागरिकों से बातचीत कर उनके विचार सुने हैं। अनुमान है कि आगामी एक महीने में यह कमेटी अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देगी, संभवतः यह रिपोर्ट मानसून सत्र के दौरान पेश की जाएगी। इसके बाद आगामी छह महीनों में UCC को लागू किया जा सकता है।
कमेटी अध्यक्ष रंजनादेसी का बयान
UCC कमेटी की अध्यक्ष रिटायर्ड जज रंजनादेसाई ने कहा कि कानून लागू करने में अब अधिक समय नहीं लगेगा। हमने हर जिले में जाकर नागरिकों से बातचीत की और हर बैठक का रिकॉर्ड भी रखा गया है। अब तक कुल 1.15 लाख से ज्यादा सुझाव कमेटी को मिले हैं। राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री ऋषिकेश पटेल ने भी पुष्टि की कि मुख्यमंत्री के साथ आज UCC को लेकर अहम बैठक हुई है और एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। सरकार मानसून सत्र में बिल ला सकती है।
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पांच सदस्यीय कमेटी ने की नागरिकों से बातचीत
गुजरात सरकार ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट की जज रंजनादेसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी में पूर्व वाइस चांसलर दक्षेश ठाकोर, पूर्व IAS अधिकारी सी.एल. मीणा, अधिवक्ता आर.सी. कोडेकऱ और सामाजिक कार्यकर्ता गीता श्रॉफ को शामिल किया गया है। कमेटी ने पूरे राज्य में नागरिकों से मिलकर सुझाव लिए और UCC के संभावित प्रभावों पर चर्चा की।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)?
UCC यानी समान नागरिक संहिता, इसे सरल शब्दों में कहें तो “एक देश, एक कानून”। इसका उद्देश्य भारत के सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, संपत्ति और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में एक समान कानून लागू करना है, चाहे उनका धर्म या जाति कोई भी हो। वर्तमान में भारत में विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं।
UCC भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 का हिस्सा है, जिसे राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में शामिल किया गया है। इसमें सरकार की जिम्मेदारी बताई गई है कि वह देश में समान नागरिक संहिता लागू करे। गुजरात में अगर यह पायलट मॉडल सफल रहा, तो UCC जल्द ही अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।
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