Gujarat Built Heritage Complex in Historical Place: गुजरात में वैसे तो देखने लायक कई जगहें हैं इसमें स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, वैली ऑफ फ्लावर्स, भूलभुलैया गार्डन, कच्छ का रण, द्वारकाधीश मंदिर, सोमनाथ मंदिर और पावागढ़ और अंबाजी मंदिर शामिल है। इन जगहों को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। लेकिन गुजरात एक जगह ऐसी है, जो यात्रियों की भीड़ से दूर बेहद शांत है। यहां की दिवारों पर आपको गुजरात का 5000 साल पुराने इतिहास देखने को मिलेगा। इस जगह का नाम लोथल हेरिटेज साइट है।
सिंधु घाटी सभ्यता का महत्वपूर्ण हिस्सा
लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह शहरों में से एक है। यहां के खंडहरों को देखकर आपको भी इतिहास में रुचि होने लगेगी। यहां पर्यटकों के लिए एक संग्रहालय भी बनाया गया है। जहां से टूरिस्ट लोथल के इतिहास को समझ सकते हैं। माना जाता है कि लोथल प्राचीन काल में एक संपन्न व्यापारिक केंद्र था, जहां से मोतियों और रत्नों का व्यापार पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक होता था।
4,500 करोड़ में बनेगा NMHC
गुजरात की प्राचीन विरासत का महत्वपूर्ण स्थल लोथल एक बड़े बदलाव का गवाह बनने जा रहा है। गुजरात के लोथल में एक राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) बनाया जाएगा। हाल ही में एक कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि लोथल में 4,500 करोड़ की लागत से नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। पूरा प्रोजेक्ट भारत के 5000 साल पुराने इतिहास को दिखाएगा। इससे दुनिया को समुद्री इतिहास जानने में मदद मिलेगी, जिससे पता चलेगा कि 5000 साल पहले भारत में समुद्री व्यापार कैसे होता था। 5000 साल पुराना लोथल बनाया जाएगा, जब लोग आएंगे तो 3 दिन में पूरा परिसर देखेंगे और यहां आने वाले सभी लोगों को 5000 साल पुराने कपड़े पहनने होंगे। उस समय चलन में आने वाले सिक्कों और रुपयों का ही उपयोग करना होगा।
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रीक्रिएशन किया जाएगा हड़प्पा काल
उन्होंने आगे बताया कि भारत के समुद्र से जुड़े 12 राज्यों का इतिहास अलग-अलग है, वो सारा इतिहास यहां दिखाया जाएगा। सभी तटीय राज्यों से गैलरी बनाई जाएंगी। नौसेना और वायुसेना की गैलरी बनाई जाएगी। दुनिया का सबसे ऊंचा 77 मीटर लंबा लाइट हाउस बनाया जाएगा। जो यहां से 80 किमी दूर अहमदाबाद तक रोशन होगी। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बाद यह गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा पर्यटन स्थल होगा। यह व्यवस्था देश-दुनिया के लिए पर्यटन और शोध के लिहाज से महत्वपूर्ण होगी। चरण-1 जनवरी के अंत तक जनता के लिए खोल दिया जाएगा। हालांकि, पूरा प्रोजेक्ट अलग-अलग चरणों में बनाया जाएगा। इसे बनने में 5 साल लगेंगे। हड़प्पा काल का रीक्रिएशन किया जाएगा। फिलहाल पूरा प्रोजेक्ट 4500 करोड़ रुपये में पूरा होगा।