पंचमहल से भूपेंद्र सिंह की रिपोर्टः हलोल सत्र अदालत ने 20 साल पुराने मामले में सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के सभी 26 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। 2002 के दंगों में कलोल अंबिका नहर के पास एक टेंपो को जला दिया गया था इस घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था।
सबूतों के अभाव में किया बरी
नवंबर 2002 में गोधरा कोर्ट में मामला दायर किया गया था। मामला बीस साल और चार महीने तक चला। इन घटनाओं में कुल 39 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। इनमें से 13 लोगों की मामले के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई। पंचमहल जिले के हलोल के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लीलाभाई चुडासमा की अदालत ने शुक्रवार को सबूतों के अभाव में हत्या, सामूहिक दुष्कर्म और दंगा करने के अपराध में 26 लोगों को बरी कर दिया।
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आरोपी व्यक्ति उस भीड़ का हिस्सा थे जिसने 27 फरवरी को गोधरा में साबरमती ट्रेन जलाने की घटना के बाद बंद के आह्वान के दौरान 1 मार्च, 2002 को भड़के सांप्रदायिक दंगों में उग्र रूप धारण कर लिया था।
कुल 39 लोगों को बनाया गया था आरोपी
इन घटनाओं में कुल 39 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिनमें से 13 व्यक्तियों की उनके मामलों के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई। पंचमहल जिले के हलोल के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लीलाभाई चुडास्मा की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में 39 लोगों को हत्या, सामूहिक बलात्कार और दंगा के आरोपों से बरी कर दिया। पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 143, 147, 376, 323, 324, 504, 506(2), 427, 341, 120बी, 295,395 के तहत मामला दर्ज किया था।
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पीएसआई आरजेएस पाटिल ने अपने अपराध रजिस्टर में 20 से 27 तक की एक ही प्राथमिकी में इन सभी अपराधों को दर्ज किया था, इसलिए उन्हें भी आरोपी बनाया गया था। इन 39 लोगों में प्रोफेसर, नगर पार्षद, बीजेपी के लोग, डॉक्टर, व्यापारी और नामजद लोग इस मामले में शामिल थे।
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