Gujarat High Court rejected Arvind Kejriwal Petition: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिग्री मामले में गुजरात हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने गुरुवार (9 नवंबर) को केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पीएम मोदी की शैक्षणिक डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग के गुजरात विश्वविद्यालय को दिए गए निर्देश को रद्द करने के आदेश पर समीक्षा करने की अपील की गई थी।
Gujarat HC dismisses review plea by Kejriwal, challenging earlier ruling on PM Modi's degree:
---विज्ञापन----HC imposes a fine of Rs 25,000 on Kejriwal.
-SG Mehta defends HC's ruling and says Kejriwal abused RTI Act.#ModiDegreehttps://t.co/tTcGscNRic— Swarajya (@SwarajyaMag) November 9, 2023
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इससे पूर्व न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की पीठ ने समीक्षा याचिका को लेकर 30 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि 31 मार्च को जस्टिस बीरेन वैष्णव ने सीआईसी के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को RTI के तहत अरविंद केजरीवाल को पीएम मोदी की शैक्षिक डिग्रियों की जानकारी देने का निर्देश दिया गया था। इसके साथ ही न्यायालय ने केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध नहीं
दिल्ली के सीएम की समीक्षा याचिका में उल्लेखित प्रमुख दलीलों में से एक यह भी थी कि पीएम मोदी की डिग्री ऑनलाइन उपलब्ध होने के गुजरात विश्वविद्यालय के दावे के विपरीत, विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। केजरीवाल की ओर से पेश होते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सी कविना ने न्यायमूर्ति वैष्णव के समक्ष यह तर्क दिया कि गुजरात यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध दस्तावेज पीएम मोदी की डिग्री नहीं है, अपितु बीए (पार्ट II) परीक्षा के कुछ अंकों का ऑफिस रिकॉर्ड है और यह मामला उनकी एमए डिग्री को लेकर है, न कि बीए डिग्री का। साथ ही उन्होंने अपनी दलील में इस बात पर जोर दिया कि डिग्री कोई मार्कशीट नहीं है, जबकि यूनिवर्सिटी का यह तर्क कि संबंधित डिग्री इंटरनेट पर पहले से ही उपलब्ध है, जोकि गलत है।
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यूनिवर्सिटी पर्सवल डिटेल देने के लिए बाध्य नहीं
इस संबंध में दूसरी तरफ से गुजरात विश्वविद्यालय की ओर से पेश होते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि केजरीवाल की समीक्षा याचिका सिर्फ मामले को गर्म रखने और बिना किसी कारण के विवाद को खड़ा करने की एक कोशिश थी। उन्होंने आगे कहा कि तत्काल समीक्षा याचिका दायर करने के लिए भी दिल्ली के सीएम पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए था, क्योंकि मामले में उचित उपाय अपील दायर करना था न कि समीक्षा याचिका दाखिल करना साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी किसी तीसरे व्यक्ति को किसी छात्र की पर्सवल डिटेल या जानकारी देने के बाध्य नहीं है।