Soil Health Card: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने में हमेशा अग्रणी रहा गुजरात, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के सशक्त नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। राज्य सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करके उन्हें सशक्त बनाने के लिए कई किसान-उन्मुख योजनाएं लागू की हैं। ‘स्वस्थ धरा, खेत हरा’ के मंत्र के साथ क्रियान्वित मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना के तहत अब तक गुजरात के 2.15 करोड़ किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
गुजरात मृदा स्वास्थ्य कार्ड लागू करने वाला पहला राज्य
राज्य का सर्वांगीण कृषि विकास गुजरात सरकार की प्राथमिकता रही है और इसीलिए गुजरात के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि योग्य भूमि को उचित रूप से बनाए रखने और उसे बंजर होने से बचाने के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण के तहत साल 2003-04 में ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ लागू की थी। मृदा स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए गुजरात ऐसी अनूठी योजना लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया। भारत मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और इसके लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 19 फरवरी को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिवस मनाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है?
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के अंतर्गत, खेती योग्य मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निर्धारित विधि के अनुसार किसानों के खेतों से मिट्टी के नमूने लिए जाते हैं और विश्लेषण के लिए सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी में भेजे जाते हैं। वहां सैंपल का विश्लेषण करके सॉफ्टवेयर आधारित मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार किया जाता है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिट्टी में मौजूद अलग-अलग पोषक तत्वों की मात्रा को दर्शाता है।
वर्तमान में कुल 12 तत्वों (N, P, K, pH, EC, Fe, Cu, Zn, OC, S, B, Mn) की मात्रा दिखाता है। इसके आधार पर किसान मुफ्त मृदा स्वास्थ्य कार्ड ले सकते हैं, जो यह वैज्ञानिक सुझाव देता है कि किस प्रकार का फर्टिलाइजर कितनी मात्रा में प्रयोग किया जाए। इस प्रोसेस से अनावश्यक केमिकल फर्टिलाइजर के अत्यधिक उपयोग में कमी आती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में मदद मिलती है।
गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में 2003-04 में शुरू की गई इस योजना का मकसद किसानों को उनकी मिट्टी की स्थिति के बारे में जानकारी देकर उन्हें सशक्त बनाना था। योजना को अमल करने के बाद एसएचसी योजना का पहली स्टेज 2003-04 से 2010-11 तक तथा दूसरी स्टेज 2011-12 से 2015-16 तक पूरा किया गया।
पहले चरण में गुजरात के 43.03 लाख से अधिक किसानों को और दूसरे चरण में लगभग 46.92 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड मुफ्त उपलब्ध कराए गए। गुजरात में सफलता के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2015-16 में पूरे देश में ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ लागू की। जिसके तहत तीसरे स्टेज में साल 2016-17 से अब तक प्रदेश के 1.25 करोड़ से अधिक किसानों को भारत सरकार की योजना के तहत मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जा चुके हैं।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से पैदावार में वृद्धि
इस योजना ने किसानों को उनकी मिट्टी की प्रमुख कमियों के बारे में जागरूक किया है और सूक्ष्म पोषक तत्वों वाले फर्टिलाइजर्स के इस्तेमाल को भी बढ़ाया है। अरावली जिले के धनसुरा कस्बे में रहने वाले किसान बाबूभाई वासरामभाई पटेल ने कहा कि एसएचसी योजना के तहत उन्हें सीमित मात्रा में केवल जरूरी फर्टिलाइजर का उपयोग करने की सलाह दी गई थी, जिसके बाद उन्हें फर्टिलाइजर की लागत कम करने में मदद मिली। इस पहल से उन्हें बेहतर फसल उपज मिली है और इनपुट लागत भी कम हुई है।
साल 2023-24 में एसएचसी पोर्टल के आधार पर 1,78,634 मृदा नमूने ऑनलाइन जमा किए गए और 1,78,286 नमूनों का विश्लेषण किया गया। 2024-25 में खरीफ सीजन के लिए एसएचसी योजना के तहत गुजरात के लिए भारत सरकार का लक्ष्य 3,81,000 नमूनों का परीक्षण करना है।
गुजरात सरकार भी इस लक्ष्य को समय पर हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, क्योंकि खरीफ-2024 सीजन तक राज्य सरकार द्वारा 3,82,215 नमूने एकत्र किए गए हैं, जिनमें से लगभग 3,70,000 नमूनों का विश्लेषण पूरा हो चुका है। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा रबी-2025 सीजन में 2,35,426 नमूने लिए गए हैं, जिनमें से 13,657 नमूनों का विश्लेषण पूरा हो चुका है। बाकी नमूनों का परीक्षण जारी है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से किसानों को लाभ
इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की क्षमता और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के साथ-साथ समय पर विश्लेषण के जरिए मृदा स्वास्थ्य कार्डों का समय पर वितरण सुनिश्चित करने के लिए सरकार के प्रयास जारी हैं। वर्तमान में, मिट्टी के नमूनों के विश्लेषण के लिए कृषि विभाग के अंतर्गत गुजरात में कुल 19 सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी और 01 सूक्ष्म पोषक तत्व परीक्षण प्रयोगशाला कार्यरत हैं। हर एक लैब में हर साल 10,000-11,000 नमूनों का परीक्षण करने की क्षमता है।
इस क्षमता को बढ़ाने के लिए सरकारी सहायता से 27 निजी सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी, यानी ग्राम स्तरीय प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं। हर एक निजी प्रयोगशाला हर साल 3,000 मृदा नमूनों का परीक्षण करने में भी सक्षम है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना किसानों को अपनी मिट्टी को प्रभावी ढंग से समझने और सुधारने, मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, उत्पादकता बढ़ाने और अपनी भूमि के अनुकूल फसलें उगाने में मदद करती है। इसके अलावा, इससे इनपुट लागत कम होती है, आर्थिक लाभ बढ़ता है और खेती के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा मिलता है।
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