भूपेंद्र सिंह ठाकुर
Gujarat CM Bhupendra Patel Big Announcement on UCC: गुजरात से एक खबर सामने आई है। दरअसल, उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने खुद इस बात का ऐलान किया है। इसके लिए सीएम भूपेंद्र पटेल ने एक 5 सदस्यीय कमेटी बनाने की भी घोषणा की है। 5 सदस्यों की यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में काम करेगी।
गुजरात मुख्यमंत्री ने की घोषणा-
गुजरात मे भी लागू होगा UCC
---विज्ञापन---कमेटी का गठन किया गया। pic.twitter.com/tmHsLYNNR0
— D.N.Dwivedi (सनातनी)🚩🇮🇳 (@DnDwivedi13) February 4, 2025
सीएम भूपेन्द्र पटेल का ऐलान
गुजरात के सीएम भूपेन्द्र पटेल ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने गुजरात में UCC लागू करने के समिति के गठन की घोषणा कर पहला कदम उठा लिया है। ऐसे में उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में भी UCC को लागू करने के साफ संकेत मिल गए है।
5 सदस्यों की कमेटी का गठन
सीएम भूपेन्द्र पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 5 सदस्यों कमेटी के गठन का ऐलान किया है। UCC के लिए मसौदा तैयार कर यह कमिटी 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी कमिटी यूसीसी के संबंध में जनता से सुझाव मांगेगी। इसके साथ ही सभी धर्मों के गुरुओं से भी चर्चा करेगी। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) का मसौदा तैयार करने और कानून बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति 45 दिनों में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर सरकार निर्णय लेगी। इसके साथ ही सीएम ने बताया कि कॉमन सिविल कोड (UCC) के नियम में आदिवासी समाज के रीति-रिवाज का संरक्षण किया जाएगा। गृह मंत्री अमित शाह ने जो वादा किया है, उसको ध्यान में रखा जाएगा।
उत्तराखंड के बाद गुजरात में UCC
उत्तराखंड में 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता लागू कर दिया गया। यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रिमोट के माध्यम से अधिसूचना जारी कर यूसीसी को लागू किया था। अब इसको लेवकर बीजेपी के दूसरे राज्य गुजरात में भी लागू किया जाएगा।
क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)?
UCC का मतलब है कि राज्य में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, संपत्ति के बंटवारे और अन्य सिविल मामलों के लिए एक समान कानून लागू होगा। इसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ की जगह एक समान प्रणाली स्थापित करना है। इसके तहत शादी और लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।