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गुजरात

गुजरात में अब नहीं चलेगी बिल्डर की मनमानी! सरकार ले सकती है ये फैसला

Gujarat Builders Arbitrariness: RERA के केंद्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य अभय उपाध्याय ने मंत्रालय से घर खरीदारों को बिल्डरों की मनमानी से बचाने के लिए कुल सुझाव दिए है।

Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Oct 13, 2024 17:27
Gujarat Builders Arbitrariness

Gujarat Builders Arbitrariness: गुजरात में भूपेन्द्र पटेल सरकार बिल्डर्स पर कड़ी नजर रख रही है, हाल ही में प्रदेश में RERA की तरफ से नया नियम लागू किया गया है। वहीं अब RERA के केंद्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य अभय उपाध्याय ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से घर खरीदारों को बिल्डरों की मनमानी से बचाने के लिए बिल्डर-खरीदार समझौते में इस प्रावधान को शामिल करने का निर्देश देने को कहा है।

बिल्डर-खरीदार समझौतें में प्रवधान

अभय उपाध्याय घर खरीदने वालों की सबसे बड़ी संस्था फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट (FPCA) के अध्यक्ष भी है। उपाध्याय ने मंत्रालय से रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट (RERA) में संशोधन को लेकर चल रही बहस के बीच में कहा कि बिल्डर-खरीदार समझौते में इस प्रावधान को शामिल करने का निर्देश देने को कहा है। इसके अलावा उन्होंने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखकर उन लोगों का मुद्दा उठाया है जिन्हें घर खरीदने का सपना छोड़ना पड़ रहा है।

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बिल्डरों की मनमानी के शिकार

उपाध्याय के अनुसार, यह हैरत की बात है कि बिल्डर-खरीदार समझौते में ग्राहकों के लिए कॉन्ट्रेक्ट से बाहर निकलने का कोई प्रावधान नहीं है। इसके चलते उन्हें बिल्डरों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने एक ऐसे मामले का उदाहरण भी दिया जहां फ्लैट रद्द होने के कारण खरीदार को अपनी जमा राशि का 75 प्रतिशत खोना पड़ा।

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दी जाए ऐसी सुविधा

केंद्र सरकार को लिखे पत्र में उपाध्याय ने कहा है कि अगर बिल्डरों की वित्तीय स्थिति खराब होती है तो उन्हें NCLT जैसे प्लेटफॉर्म पर जाने का अधिकार है, लेकिन खरीदारों के पास अपना पैसा बचाने का कोई रास्ता नहीं है। उन्हें ऐसी सुविधा दी जाए कि अगर नौकरी छूटने या किसी अन्य समस्या के कारण फ्लैट रद्द करना पड़े तो उन्हें आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े।

क्या है RERA का कहना

RERA का कहना है कि अगर डेवलपर की खामियों के कारण फ्लैट पर कब्जा नहीं दे पाता है तो उसे ग्राहक को हर्जाने के साथ पैसे लौटाने चाहिए, लेकिन ऐसी स्थिति भी हो सकती है कि ग्राहक को अपना फ्लैट रद्द करना पड़े। यह नैसर्गिक न्याय के खिलाफ है कि यदि कोई व्यक्ति फ्लैट बुक कराता है तो उसे हर हाल में किश्तें चुकानी होंगी। FPCA ने सुझाव दिया है कि यदि आवंटी की तरफ से 3 महीने के भीतर फ्लैट रद्द कर दिया जाता है, तो उसे 15 दिनों के भीतर पूरी राशि वापस कर दी जानी चाहिए। अगर फ्लैट तीन महीने के बाद रद्द किया जाता है, तो डेवलपर को जमा धन पर बैंक की ब्याज दर काटने के बाद एक महीने के भीतर भुगतान करना होगा।

First published on: Oct 13, 2024 03:43 PM

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